चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को नहीं मिलेगी लिपिक के पद पर पदोन्नति
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में महत्वपूर्ण बात कही है। इस दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के चपरासी को पदोन्नति देकर क्लर्क बनाने का फैसला सही नहीं है। यह फैसला देकर न्यायालय ने सिंगल जज के निर्णय को गलत करार दिया है। गौरतलब है कि यह मामला सुखदेई बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मंदिर महेबा, इटावा के लिपिक पद पर पदस्थापना को लेकर है। दरअसल इस पद के लिए विज्ञापन देकर आवेदन आमंत्रित किए गए थे। मगर चयनित व्यक्ति के चयन पर विद्याालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अमर सिंह ने आपत्ती ली और कहा कि यह पद पदोन्नति से भरा जाए। मगर इसे क्षेत्रीय निरीक्षक गल्र्स स्कूल ने स्वीकार नहीं किया और अपीलार्थी की नियुक्ति को मान्य कर लिया। न्यायालय ने सवाल किए कि इस पद पर किसी को पदोन्नत नहीं किया जा सकता है। ऐसा होता है तो फिर यह तो आरक्षण प्रावधान का उपयोग करना कहलाएगा। ऐसे में मामला उच्च न्यायालय पहुंचा और न्यायालय ने एकलपीठ के निर्णय को गलत दर्शा दिया। न्यायालय द्वारा कहा गया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत व्यक्ति हत्या जैसे मामले का दोषी है और इसकी सजा की अपील लंबित है। इस व्यक्ति ने जमानत अर्जी लगाई है वह जमानत पर है और इसकी सजा को रोका नहीं जा सकता है। हालांकि यह व्यक्ति सेवा के लायक नहीं है। न्यायालय ने अमर सिंह की याचिका को अस्वीकार कर दिया है। गौरतलब है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की अपील आजीवन कारावास के दंड के खिलाफ लंबित है। न्यायालय ने कहा कि न्यायालय को गुमराह किया गया है कि वह आपराधिक मामले में बरी हो गया है।
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