लखनऊ : मानदेय न देने पर निरस्त होगा स्कूलों का मैनेजमेंट, माध्यमिक शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव ने जताई नाराजगी
लखनऊ। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के मानदेय भुगतान पर स्कूल प्रबंधकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। स्कूल प्रबंधक निर्धारित शपथ पत्र पर सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा रहे, जिससे मानदेय भुगतान की प्रक्रिया सुस्त पड़ गई है। बीते दिनों हुई विभागीय बैठक में इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री एवं प्रमुख सचिव ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे स्कूल प्रबंधकों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा जाए। उत्तर प्राप्त न होने पर दूसरी नोटिस दी जाए। उसके बाद विधिक कार्रवाई की जाए।दरअसल, समाजवादी पार्टी ने 2012 के विधान सभा चुनाव में घोषणा की थी कि सत्ता में आने पर वित्तविहीन शिक्षकों को एक मुश्त मानदेय दिया जाएगा।
सरकार बनने के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आई और अर्हशिक्षकों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन राज्य सराकर की ओर से बजट की व्यवस्था 2016 में की गई। इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने काफी विरोध प्रदर्शन भी किया गया। शासनादेश जारी होने के बाद बजट भी जिलों को भेज दिया गया। लेकिन उसके बाद प्रक्रिया सुस्त पड़ गई। स्थिति यह है कि दो महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अब तक ज्यादातर स्कूल प्रबंधकों ने निर्धारित प्रारूप पर शिक्षकों की सूचनाएं ही नहीं भेज रहे। यह हाल राजधानी सहित प्रदेश भर के स्कूलों का है। बीते दिनों बेहद खराब स्थिति पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा ने नाराजगी जताते हुए जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि 25 नवंबर तक विशेष प्रोत्साहन मानदेय के भुगतान के लिए आवंटित पहली किश्त की धनराशि का व्यय किया जाना सुनिश्चित करें और सात दिसंबर तक इसकी रिपोर्ट दें। बावजूद इसके मानदेय भुगतान की प्रक्रिया में प्रगति नहीं हुई।
जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि मानदेय भुगतान के संबंध में जो प्रबंधक सूचनाएं नहीं भेज रहे हैं, ऐसे प्रबंधकों को पहली नोटिस जारी की जाए कि अंशकालिक शिक्षकों के हितों के विपरीत कार्य करने के लिए क्यों न प्रबंध समिति को अववंचित कर साधिकार नियंत्रक नियुक्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाए।
-जितेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा