इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती में शीर्ष कोर्ट की भी अनदेखी, प्रदेश के राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में सिर्फ लकीर पीटी जा रही
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश के राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में सिर्फ लकीर पीटी जा रही है। कथित नियमावली का हवाला देकर अफसर बुनियादी नियमों से अभ्यर्थियों को भटका रहे हैं। इससे तमाम युवा आवेदन ही नहीं कर सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने भर्तियों में ट्रांसजेंडर की अनदेखी की थी, लेकिन समय रहते उसमें सुधार भी हुआ, लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसर नियमों का हवाला देकर गलत को ही सही ठहरा रहे हैं।
राजकीय कालेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए सोमवार से आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू हुई है। ऑनलाइन आवेदन पत्र में विभाग ने ट्रांसजेंडर का कालम नहीं बनाया गया है। इसके लिए 2014 में ही शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया था। न्यायालय ने उन्हें नौकरी आदि में अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत लाभ देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे वर्ग को पुरुष या फिर महिला लिखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसलिए भर्तियों के आवेदन में इनका अलग कालम होना चाहिए।
इसकी अनदेखी पहले चयन बोर्ड ने टीजीटी-पीजीटी 2016 का आवेदन लेते समय की थी, लेकिन समय रहते अफसरों ने उसे दुरुस्त कर लिया था। वही गलती माध्यमिक शिक्षा विभाग दोहरा रहा है। उसे ठीक करने के बजाए माध्यमिक शिक्षा के अपर निदेशक रमेश कहते हैं कि इस भर्ती की सेवा नियमावली में ट्रांसजेंडर का जिक्र ही नहीं है, तब यह कैसे जोड़ा जा सकता है।
माध्यमिक विभाग ने इसके पहले टीईटी बिना भर्ती के मामले में ऐसा ही हवाला दिया था। युवाओं का तर्क है कि जिन शिक्षकों का चयन हो रहा है, वह कक्षा छह से आठ तक कक्षाओं में भी पढ़ाएंगे। ऐसे में एनसीटीई का निर्देश है कि ऐसे अभ्यर्थी टीईटी उत्तीर्ण हों, लेकिन इस भर्ती में टीईटी को भी दरकिनार कर दिया गया है। यही नहीं चयन बोर्ड ने भी स्नातक शिक्षक भर्ती में टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य नहीं किया है।