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महराजगंज : कांपते हाथों से पिता ने उठाई अर्थी तो कांप उठा जर्रा-जर्रा, शिक्षक की अंतिम यात्र में अपार जन समूह उमड़ पड़ा।

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महराजगंज : कांपते हाथों से पिता ने उठाई अर्थी तो कांप उठा जर्रा-जर्रा, शिक्षक की अंतिम यात्र में अपार जन समूह उमड़ पड़ा।

जागरण संवाददाता, घुघली, महराजगंज : कांपते हाथों से वृद्ध पिता राम किशुन सिंह ने जब बेटे की अर्थी उठाई और पनियहवा घाट पर मुखाग्नि दी तो इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर आमजन संग जर्रा-जर्रा रो पड़ा। साथ ही परिजनों व रिश्तेदारों की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया।

शिक्षक की अंतिम यात्र में अपार जन समूह उमड़ पड़ा। घर से वाहन पर शव रखकर लोग निकले तो जन समुदाय संग शिक्षकों ने-जब तक सूरज चांद रहेगा, राम अशीष तेरा नाम रहेगा के नारे लगाए और प्रदेश सरकार के साथ पुलिस के खिलाफ आवाज उठाई। पनियहवां घाट पर शिक्षक राम अशीष सिंह की चिता सजाई गई और जब पिता ने कांपते हाथों से मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े। प्रकृति भी गमगीन हो गई। लगा नदी के शांत जल में भी हाहाकार मच गया और घाट संग नदी भी रो पड़ी। शिक्षक के छोटे भाई राम सजीवन सिंह, राम प्रवेश सिंह व रामपाल सिंह ने वृद्ध पिता को संभाला और बड़े पुत्र के लिए तड़प रहे पिता को ढांढस बंधाने की कोशिश करते-करते फफक पड़े। इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर लोगों ने कहा कि-दुनिया में सबसे बड़ा बोझ बाप के कंधे पर बेटे की अर्थी होती है। भगवान किसी को भी यह दिन न दिखाए। सूनी आंखों से जलती चिता को देखते-देखते घाट पर मौजूद लोगों ने शिक्षक की मौत के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया। लाठीचार्ज कर शिक्षक को मौत की नींद सुलाने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हर तरफ पुलिसिया ज्यादती की चर्चा होती रही।

अंतिम यात्र में शामिल शिक्षकों ने कहा कि सरकार के खिलाफ आगे भी संघर्ष जारी रहेगा। वहीं मौके पर मौजूद भाजपा व बसपा के नेताओं ने माहौल की नजाकत को देखते हुए गुस्साए शिक्षकों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। आंदोलन में भी सहयोग की हामी भरी। इस अवसर पर श्रीराम प्रजापति, राम बहादुर, सर्वेश कुमार, अनिल कुमार, रमेश गौड़, नागेन्द्र, सुनील कुमार, जय मंगल कन्नौजिया, जनार्दन प्रसाद गुप्त, निर्मेश मंगल, सतीश चतुर्वेदी समेत भारी संख्या में जन समुदाय उपस्थित रहा।

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