लखनऊ : पेंशनर्स दिवस के तहत आयोजित हुआ कार्यक्रम, बायोमीटिक प्रणाली से रुकेगी अब पेंशनरों की दौड़-भाग
जागरण संवाददाता, लखनऊ : पेंशनरों की समस्याओं और निराकरण के लिए बायोमीटिक प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पेंशन के लिए लगाए जाने वाले आफिसों के चक्करों में कमी आएगी।
शनिवार को पेंशनर्स दिवस में शामिल हुए मुख्य ट्रेजरी अधिकारी संजय सिंह ने बायोमीटिक प्रणाली से पेंशनरों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली से जिंदा रहने के लिए ट्रेजरी आने की जरूरत नहीं होगी। पहले से चल रही सुविधा भी जारी रहेगी। बस आधार के साथ एक बार पेंशनर को कोषागार आना होगा।
संयुक्त पेंशनर्स समन्वय समिति की ओर से इंदिरानगर के वित्तीय प्रबंध प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में उप्र पावर कारपोरेशन को छोड़कर सभी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने पेंशनर्स की समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। जवाहर कोषागार के मुख्य कोषाधिकारी मोहम्मद जमा ने बताया कि 14 दिसंबर को शासनादेश के साथ बायोमीटिक प्रणाली लागू हो गई है। इसके लिए एक बार कोषागार में पेंशनरों को आना होगा। इसके बाद निर्धारित केंद्रों से बायोमीटिक के माध्यम से जन सुविधा केंद्रों या स्मार्ट फोन के माध्यम से जिंदा होने का प्रमाण पत्र दिया जा सकेगा। पहली बार आधार कार्ड व पासबुक और मोबाइल नंबर लाना होगा। समिति के अध्यक्ष एनपी त्रिपाठी के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में कई पेंशनरों ने हिस्सा लिया। समिति कोषाध्यक्ष वीके खरे ने बताया कि पेंशनर्स दिवस में शामिल हुए सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति में आने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में समिति के सह संयोजक शिव शंकर दुबे समेत 12 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।