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बाराबंकी : गुणात्मक शिक्षा बिना संस्कारों के अधूरी है, गोष्ठी में विपरीत परिस्थितियों में दृष्टिकोण बदलकर कार्य करने की आवश्यकता पर दिया गया बल

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बाराबंकी : गुणात्मक शिक्षा बिना संस्कारों के अधूरी है, गोष्ठी में विपरीत परिस्थितियों में दृष्टिकोण बदलकर कार्य करने की आवश्यकता पर दिया गया बल

संवादसूत्र, बाराबंकी: सार्वजनिक इंटर कॉलेज हैदरगढ़ में मंगलवार को उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के फैजाबाद मंडल की ओर से शैक्षिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विपरीत परिस्थितियों में दृष्टिकोण बदलकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

परिषद के प्रदेशीय अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में अनेकों विसंगतियां हैं। जैसे अध्यापकों की कमी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के चयन पर रोक, लिपिकों के चयन के लिए निदेशक की पूर्व अनुमति की आवश्यकता, संसाधनों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली कक्षा 6 से 8 तक शुल्क क्षतिपूर्ति का अभाव वेतन विसंगतियां आदि है। इन सबके बावजूद हम सबकों निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति के संबंध में कक्षा 6 से 8 तक की शुल्क प्रतिपूर्ति के संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा चुकी है। संगठन के संरक्षक श्रीनिवास शुक्ल ने कहा कि प्रधानाचार्य का पद संघर्ष का पद है। इसलिए सभी प्रधानाचार्य संघर्ष कर शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास करते रहें। उन्होंने सरकारी तथा सहायता प्राप्त विद्यालयों में घटती हुई छात्र संख्या पर भी चिंता व्यक्त की। संगठन जिलाध्यक्ष मो. एहरार ने कहा कि शिक्षा का तात्पर्य अच्छे अंकों की प्राप्ति तक सीमित रह गया हैं। छात्रों के संस्कार तथा चरित्र निर्माण पर बल नहीं दिया जाता हैं। गुणात्मक शिक्षा बगैर संस्कारों के अधूरी है। संगठन के प्रदेश मंत्री त्रिलोकी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा की समानता विखंडित हो रही हैँ। अमीर तथा गरीब दोनो प्रकार के छात्रों के लिए एक ही प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा में संसाधनों की भारी कमी एवं विभिन्न सरकारों की माध्यमिक शिक्षा के प्रति उदासीनता पर भी चर्चा की। इस मौके पर फैजाबाद मंडल के अध्यक्ष राममिलन वर्मा सहित काफी संख्या में प्रधानाचार्य मौजूद रहे।

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