इलाहाबाद : अभिभावकों का यूपी बोर्ड से मोहभंग, छह साल में घट गई परीक्षार्थी संख्या, पंजीकरण के ये आंकड़े खोलते हैं पोल
हाईस्कूल में छह वर्ष का रिकार्ड
वर्ष छात्र छात्रएं कुल
2012 2098872 1642508 3741380
2013 2155792 1648788 3804580
2014 2162163 1699271 3861434
2015 1913180 1582794 3495974
2016 2110910 1638844 3749754
2017 1900767 1503948 3404715
इंटरमीडिएट में छह वर्ष का रिकार्ड
वर्ष छात्र छात्रएं कुल
2012 1531065 1152483 2683548
2013 1486910 1153866 2640776
2014 1723409 1408619 3132028
2015 1572161 1347467 2919628
2016 1707442 1364299 3071741
2017 1427431 1228888 2656319
श्रीनारायण मिश्र, इलाहाबाद । सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में दाखिले की मारामारी है। सिफारिशें लगती हैं, डोनेशन भी देना पड़ता है। यही हाल आइसीएसई बोर्ड के स्कूलों का भी है। इन बोर्डो से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा देने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मगर उप्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शायद अभिभावकों का विश्वास घटता जा रहा है।
सरकारी क्षेत्र की बजाय निजी क्षेत्र में नौकरियां दिलाने में सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड की शिक्षा मुफीद मानी जा रही है। ऐसे में इस माध्यम से परीक्षा देने वालों की संख्या बढ़ रही है। उधर, यूपी बोर्ड में वर्ष 2012 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में परीक्षार्थियों की संख्या जहां 64,24928 थी। वहीं 2017 आते आते इसमें 3,63,894 की गिरावट आ गई और इस साल केवल 60,41034 विद्यार्थियों ने ही इन परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करवाया है। बीते साल के मुकाबले ही इस साल कुल परीक्षार्थियों की संख्या में 7,60461 परीक्षार्थियों की कमी आई है। हालांकि बीते साल के मुकाबले आई इस गिरावट के पीछे बोर्ड अफसर नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल को वजह बता रहे हैं। बहरहाल परीक्षार्थियों के घटते आंकड़े यूपी बोर्ड को चिंतन करने पर मजबूर जरूर करते हैं।
छात्रों की संख्या में भारी गिरावट
यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों की संख्या को छात्रओं ने काफी हद तक संभाल रखा है। छह सालों में जहां हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कुल परीक्षार्थी संख्या में 3,63,894 की कमी आई है। वहीं इसमें छात्रओं की कमी सिर्फ 62,155 है। इसके पीछे सामाजिक कारण भी जिम्मेदार माने जाते हैं। जहां लोग बेटों के मुकाबले बेटियों को यूपी बोर्ड के माध्यम से शिक्षा दिला रहे हैं।
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श्रीनारायण मिश्र, इलाहाबाद । सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में दाखिले की मारामारी है। सिफारिशें लगती हैं, डोनेशन भी देना पड़ता है। यही हाल आइसीएसई बोर्ड के स्कूलों का भी है। इन बोर्डो से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा देने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मगर उप्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शायद अभिभावकों का विश्वास घटता जा रहा है।
सरकारी क्षेत्र की बजाय निजी क्षेत्र में नौकरियां दिलाने में सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड की शिक्षा मुफीद मानी जा रही है। ऐसे में इस माध्यम से परीक्षा देने वालों की संख्या बढ़ रही है।
उधर, यूपी बोर्ड में वर्ष 2012 में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में परीक्षार्थियों की संख्या जहां 64,24928 थी। वहीं 2017 आते आते इसमें 3,63,894 की गिरावट आ गई और इस साल केवल 60,41034 विद्यार्थियों ने ही इन परीक्षाओं के लिए पंजीकरण करवाया है। बीते साल के मुकाबले ही इस साल कुल परीक्षार्थियों की संख्या में 7,60461 परीक्षार्थियों की कमी आई है। हालांकि बीते साल के मुकाबले आई इस गिरावट के पीछे बोर्ड अफसर नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल को वजह बता रहे हैं। बहरहाल परीक्षार्थियों के घटते आंकड़े यूपी बोर्ड को चिंतन करने पर मजबूर जरूर करते हैं।
छात्रों की संख्या में भारी गिरावट
यूपी बोर्ड के परीक्षार्थियों की संख्या को छात्रओं ने काफी हद तक संभाल रखा है। छह सालों में जहां हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कुल परीक्षार्थी संख्या में 3,63,894 की कमी आई है। वहीं इसमें छात्रओं की कमी सिर्फ 62,155 है। इसके पीछे सामाजिक कारण भी जिम्मेदार माने जाते हैं। जहां लोग बेटों के मुकाबले बेटियों को यूपी बोर्ड के माध्यम से शिक्षा दिला रहे हैं।‘वर्ष 2012 से मौजूदा आंकड़ों की तुलना नहीं की जानी चाहिए। जहां तक बीते साल के मुकाबले घटी संख्या की बात है तो वह इसलिए क्योंकि बोर्ड ने कई नवीनतम तकनीक अपनाई है। अगले साल से संख्या में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी नजर आएगी। 60 लाख से अधिक परीक्षार्थियों वाले बोर्ड के लिए यह चिंता का विषय नहीं है।’1शैल यादव, सचिव, उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद