मेरठ : शिक्षा की प्रेरणा से बनाया बुक बैंक, पेशे से शिक्षक अमिता शर्मा ने सालभर पहले जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए बुक बैंक विजयनगर में कुछ किताबों के साथ ‘प्रेरणा बुक बैंक बनाया
मेरठ। ऐसे समय में जब शिक्षा पूरी तरह से व्यापार बन चुकी है। शिक्षा के बाजारीकरण होने के बाद मोटी कमाई का जरिया बन गई है। वहीं, आज भी कुछ लोग लोग ऐसे हैं, जो किताबों के माध्यम से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। सालभर पहले आरजी कॉलेज के सामने शुरू हुए बुक बैंक की अब दस शाखाएं हो गई हैं।
पेशे से शिक्षक अमिता शर्मा ने सालभर पहले जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए बुक बैंक विजयनगर में कुछ किताबों के साथ ‘प्रेरणा बुक बैंक बनाया था। अमिता को यह बात सालती रहती थी कि जरूरतमंद लेकिन होनहार बच्चों की शिक्षा बिना किताबों के अधूरी रह जाती है। अमिता ने अपने खर्च से कुछ किताबें खरीदीं थीं। इसके साथ कुछ पुरानी किताबें भी अगली कक्षा में पहुंच चुके विद्यार्थियों से लीं थी। रद्दी बेचकर खरीदीं पुस्तकें ‘प्रेरणा बुक बैंक से जरूरतमंद बच्चे किताबें ले जाने लगे तो दूसरे बच्चों को भी इसके बारे में जानकारी हुई। इसके बाद अमिता ने सहयोगियों के साथ घरों से कुछ रद्दी एकत्र किताबें खरीदीं। अमिता बताती हैं कि उनके मायके मोदीनगर में पढ़ाई के दौरान ही वह इस तरह का प्रयोग करना चाहती थी, खुद की पढ़ाई के चलते ऐसा नहीं कर पाई। विजयनगर से शुरू हुए ‘प्रेरणा बुक बैंक की अब दस शाखाएं हो चुकी हैं। दर्जनों छात्र इस बैंक का लाभ उठाकर बैंक, रेलवे, आर्मी, सरकारी एजेंसियों में नौकरी भी कर रहे हैं। इनमें से कुछ युवक जब नौकरी से छुट्टी पर अपने घर आते हैं तो बुक बैंक में सहयोग करते हैं। और ऐसे कारवां बनता गया.. रद्दी बेचने, पुरानी पुस्तकें एकत्र करने और यहां से पढ़कर निकले छात्रों की सहयता से अब बुक बैंक की दस शाखाएं हो गई हैं। यहां से पढ़कर सरकारी नौकरी में चयनित हुए छात्रों ने कहा कि उनके यहां भी बुक बैंक का प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, लोनी, मेरठ के शास्त्रीनगर, संजयनगर, माधवपुरम सहित देहात में भी बुक बैंक खोले गए। अमिता इसका श्रेय अपने पति संजय शर्मा को देती हैं।