यूपीबोर्ड : चुनाव के बीच यूपी बोर्ड की टली दसवीं व बारहवीं परीक्षा की तारीखें अब तय हैं। बोर्ड भी तैयारियों में जुट गया है लेकिन, इस बार वह नकल विहीन परीक्षा का कोई नया नुस्खा आजमाने के मूड में नहीं
नया नुस्खा नहीं : चुनाव के बीच यूपी बोर्ड की टली दसवीं व बारहवीं परीक्षा की तारीखें अब तय हैं। बोर्ड भी तैयारियों में जुट गया है लेकिन, इस बार वह नकल विहीन परीक्षा का कोई नया नुस्खा आजमाने के मूड में नहीं है। बल्कि, आजमाए इंतजामों के जरिये ही परीक्षा कराएगा। साफ कर दिया गया है कि 2017 की परीक्षा में मोबाइल एप का प्रयोग नहीं होगा। पिछली बार यह योजना बहुत प्रचारित की गई थी। गैरहाजिर परीक्षार्थियो का पता लगाने व उत्तरपुस्तिकाओं की अदला-बदली रोकने के लिए बोर्ड अपनी वेबसाइट का प्रयोग करेगा। शासन ने केंद्र स्थापना नीति में इसका संकेत दिया था, अब पूरी तरह से उसी दिशा में यूपी बोर्ड बढ़ने जा रहा है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा 2016 में पहली बार मोबाइल एप का प्रयोग हुआ। इसका मकसद परीक्षा केंद्रों पर हर पाली में अनुपस्थित रहने वाले परीक्षार्थियों का ब्योरा प्राप्त करना था। परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र और अटेंडेंस शीट में क्विक रिस्पांस (क्यूआर) कोड डाला गया। अटेंडेंस शीट से अनुपस्थित परीक्षार्थियों के क्यूआर कोड को स्कैन करते ही उसका पूरा ब्योरा यूपी बोर्ड के सर्वर पर आने का दावा किया गया था। परीक्षा शुरू होने के पहले सभी 11667 केंद्र व्यवस्थापकों को प्रशिक्षित करके सिम बांटे गए लेकिन, परीक्षा शुरू होते ही नेटवर्क व अन्य कई गड़बड़ियों के चलते समय से सूचनाएं सर्वर तक नहीं पहुंची। तमाम प्रयासों के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला।
यूपी बोर्ड लगातार नई तकनीक अपनाकर अपने सिस्टम को बेहतर बनाने की कोशिश करता आया है। कई बार ये तकनीकें कारगर होती हैं तो कई बार फेल हो जाती हैं। तकनीक जब सफल हो जाती है तब तो कोई बात नहीं लेकिन जब विफल हो जाती हैं तो बोर्ड की किरकरी हो जाती है। मोबाइल एप प्रणाली काम न करने की वजह से भी बोर्ड को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसलिए इस बार एप की जगह बोर्ड की वेबसाइट के जरिये ही सूचना मंगाने पर सहमति बनी है। बोर्ड को किसी भी नई तकनीक का पहली बार उपयोग करते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों को नई तकनीक का बकायदा प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कई चरणों में इस प्रशिक्षण को परखना भी होगा जिससे पता चल सके कि अधिकारियों व कर्मचारियों ने नई तकनीक को कितना स्वीकार किया है। तकनीकों के प्रयोग से परीक्षा के आयोजन में पारदर्शिता की उम्मीद बढ़ जाती है। जब किसी नई तकनीक को बिना जाने-समझे लागू कर दिया जाता है तभी दिक्कत आती है।