दयनीय स्थिति में यूपी की शिक्षा व्यवस्था, बस कागजों में पढ़ा रहे टीचर्स
राम मिश्रा, अमेठी। यूपी के जनपद अमेठी में सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी प्राथमिक आैर उच्च प्राथमिक विद्यालयों की दशा सुधरने वाली नहीं दिख रही है कहीं अध्यापक स्कूल ही नहीं आते हैं तो कहीं आते हैं तो काफी लेट आैर दोपहर का भोजन करा कर चले जाते हैं। लगता है गुरुजी को पढ़ाने से कोर्इ मतलब ही नहीं है।
सरकारें भले ही शिक्षा के लिए बेशुमार धन खर्च कर रही हों, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुुछ और ही है शुकुल बाजार के मवइया प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर अभिभावक लगातार आरोप लगाते रहे है कि प्रधानाध्यापकजी विद्यालय बहुत ही कम आते हैं और देर सावेर यदि आ भी गये राजनीति और पेपर की बातों से ही समय गुजार देते है।
जब यह शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी अशोक यादव को मिली तो वह मवइया प्राथमिक विद्यालय की जाँच गये जहां खंड शिक्षा अधिकारी प्रधानाध्यापक के कार्य प्रणाली से असन्तुष्ट दिखे तो सूत्रों ने बताया कि इस जाँच से क्षुब्ध प्रधानाध्यापक ने गुटबाज़ी करते हुए शुकुल बाजार के एबीआरसी के अनुपस्थित का हवाला देते हुए नारे बाजी शुरू कर दी।
लामबद्ध आध्यापको का आरोप है कि यदि एबीआरसी शुकुल बाजार के अनुउपस्थित पर उनके खिलाफ कार्यवाही नही हुई तो क्यों परेशान किया जा रहा है अध्यापको एवं विभागीय आरोपो प्रत्यारोपो से तो केवल पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अन्धकारमय हो रहा है क्षेत्र के कुछ जन प्रतिनिधियों ने बताया कि हमारे यहां प्राथमिक शिक्षा बिल्कुल दयनीय स्थिति में है।
प्रधानाध्यापक के गैर मौजूदगी में सहायक अध्यापक के द्वारा ही विद्यालय खोला जाता है ।प्रधानाध्यापक के खिलाफ शिकायत भी किया लेकिन कोई सुधार देखने को नही मिला कुछ अध्यापको ने दबी जुबान से बताया कि प्राथमिक विद्यालय मवइया, पुरे भंजन, कला मकदूम पुर, पुरे बोधी, आदि ऐसे विद्यालय हैं जहां शिक्षक आते ही नहीं हैं या के प्रपत्र 9 पर हस्ताक्षर कर लौट जाते हैं।
लोगो की मॉने तो कुछ विद्यालयों में तैनात शिक्षक का अपने अधिकारियो के साथ सेटिंग की वजह से चाँदी काट रहे है शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लाकर बच्चों की पहुंच स्कूल तक तो हो गई लेकिन शिक्षा तक उनकी पहुंच अब भी नहीं हो पायी है सीखने की सारी जिम्मेदारी व जवाबदेही बच्चों पर वापस डाली जा रही है उत्तर प्रदेश में सरकार हर बच्चे को शिक्षा मुहैया करा रही है! दावा तो यही है, मगर दावे अमेठी में हकीकत से बहुत दूर नजर आते हैं ।
-सांकेतिक तस्वीर।