कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठकर पढ़ने की मजबूरी
काकोरी : काकोरी के सरोसा गांव में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की भी स्थिति बदहाल है। यहां पर 86 छात्राएं हास्टल में रहकर पढ़ती हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए एक भी चौकीदार तैनात नहीं है। इतना ही नहीं वर्ष 2007 में आए 22 सेट कुर्सी-मेज अब टूट चुके हैं, ऐसे में ज्यादातर छात्राओं को कड़ाके की ठंड में जमीन पर बैठाकर ही पढ़ाया जाता है। यही नहीं शिक्षिकाएं कमरे के बाहर जूते व चप्पल उतरवा देती हैं। क्लास रूम व हॉस्टल के कमरे की खिड़कियों के शीशे भी टूटे हुए हैं। मैदान में घास व झाड़ियां खड़ी हुई हैं।
वार्डन सुनीता यादव ने बताया कि 86 छात्राएं यहां उपस्थित हैं इसके लिए वार्डेन सहित चार शिक्षिकाएं हैं। केवल 22 सेट कुर्सी व मेज हैं मगर वह भी टूटी होने के कारण इन पर ईटे लगाकर किसी तरह टिकाया गया है। वार्डेन के दबाव में छात्राएं यहां पर कुछ ज्यादा बोल नहीं पाई, मगर यहां पर भी छात्राओं को भरपेट भोजन नहीं मिलता। परिसर को साफ-सुथरा रखने के लिए उन्हें भी झाडू उठानी पड़ती है। बाथरूम व रसोईघर वार्डेन से दिखाने के लिए कहा गया तो वह बोली कि अभी वह नहीं दिखाया जा सकता।
सभागार में धूल खा रहे छात्राओं के लिए आए बेड
छात्राओं के सोने के लिए आए 50 बेड सभागार में धूल खा रहे हैं। पुराने टूटे बेड पर छात्राएं सोने को मजबूर हैं। दो महीने पहले आए यह बेड सभागार में पड़े हैं, लेकिन छात्राओं को इसे नहीं दिया गया। वार्डेन सुनीता यादव इस बारे में कोई माकूल जवाब नहीं दे पाई।