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बाराबंकी : गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे जंग बहादुर, स्कूल सुबह आठ से तीन बजे तक चलता है, कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को अकेले ही बैठाकर पढ़ाते है।

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बाराबंकी : गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे जंग बहादुर, स्कूल सुबह आठ से तीन बजे तक चलता है, कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को अकेले ही बैठाकर पढ़ाते है।

केके मिश्र’पोखरा (बाराबंकी) । त्रिवेदीगंज क्षेत्र में जंग बहादुर रावत निर्धन परिवार के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं। इनके शिक्षा के लिए इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बिता दी है। बताते है कि उन्हें गरीब बच्चों को पढ़ाने का जुनून है। गरीब भी शिक्षित हो और दूसरों बच्चों की तरह स्वावलंबी बन सके। इनके द्वारा पढ़ाए हुए कई छात्र रोजगार से जुड़ चुके हैं।

त्रिवेदीगंज क्षेत्र हैदरगढ़ के महाराजगंज-रायबरेली रोड पर ग्राम भड़खोरिया गांव है। इस गांव में इंटर पास जंग बहादुर रावत दो दशक से सिर्फ गरीब बच्चों को ही पढ़ा रहे हैं। पढ़ने के लिए रोज सबेरे बच्चों को बबूल पेड़ के नीचे हुजूम उमड़ता है। स्कूल सुबह आठ से तीन बजे तक चलता है, कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को अकेले ही बैठाकर पढ़ाते है। जंग बहादुर को भले ही उच्च शिक्षा का ज्ञान न हो लेकिन बच्चों को जरूर उच्च शिक्षा के गुर बताते हैं। परिषदीय विद्यालयों की तुलना में जंग बहादुर सबके मास्टर निकले। जंग बहादुर उनके परिवार में वही इंटर तक पढ़ गए थे। आर्थिक तंगी के कारण वह उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए। उच्च शिक्षा की हसरत तो थी लेकिन पढ़ नहीं सके, अब वह गरीब बच्चों को पढ़ाकर अपनी हसरत पूरी करना चाह रहे हैं। गांव के आस-पास 4 किलो मीटर तक कोई भी सरकारी अथवा प्राइवेट विद्यालय नहीं है। देवइचा, पड़रिया, भड़खोरिया, चमरही, टिकरा, रानीखेर आदि ग्रामों के बच्चों के लिए शिक्षा लेना आसान नहीं था। यहां सैकड़ों की संख्या में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जंग बहादुर का कहना है कि वह गृह शिक्षा की तर्ज पर बच्चों को पढ़ाते है, इसलिए उसने अपने शिक्षण केंद्र को विद्यालय का नाम नहीं दिया है। इस समय एक सौ पच्चीस बच्चे को मैं पढ़ाता हूं।

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