बस्ती : परशुरामपुर विकास खंड के साधन सहकारी समिति रायपुर में दस वर्ष से निजी स्कूल चल रहा, भवन किसका, किसी को पता नहीं
भवन किसका, किसी को पता नहीं : साधन सहकारी समिति रायपुर का भवन किस विभाग का है इसको लेकर बहस छिड़ गई है। ग्रामीणों की मानें तो यहां से किसानों को खाद-बीज वितरित किया जाता था इसलिए यह भवन कोआपरेटिव विभाग का है। दूसरी तरफ एडीओ कोआपरेटिव राजेंद्र प्रसाद तिवारी कहते हैं कि रायपुर गांव में उनके विभाग का कोई भवन नहीं है। वह भवन स्वास्थ्य विभाग का है। परशुरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डा. भाष्कर यादव का कहना है कि इस गांव में उनके विभाग का कोई भवन नहीं है। जिस भवन की चर्चा हो रही है उसमें बड़ा सा गोदाम है, दो कमरे छोटे-छोटे हैं, एक बरामदा है। भवन के पिछले हिस्से में भी बड़ा बरामदा है। देखने से ही यह भवन साधन सहकारी समिति का लगता है। स्वास्थ्य विभाग की ऐसी कोई बिल्डिंग नहीं है।
जागरण संवाददाता, बस्ती: परशुरामपुर विकास खंड के साधन सहकारी समिति रायपुर में दस वर्ष से निजी स्कूल चल रहा है। समिति का कारोबार कब से बंद है, यह अब किसी को ठीक-ठीक से याद भी नहीं है। दस वर्ष पूर्व एक व्यक्ति ने यहां स्कूल की स्थापना की। पुनीत कार्य होता देख शुरू में तो किसी ने इसका विरोध नहीं किया लेकिन बाद में जब भवन व्यक्तिगत संपत्ति के रूप में इस्तेमाल होने लगा तो पूर्व प्रधान ने भवन खाली कराने का प्रयास किया पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
ग्रामीणों का कहना है कि दस वर्ष पूर्व जौनपुर से आए एक व्यक्ति ने इस सरकारी भवन में स्कूल की स्थापना की। वर्तमान समय में 135 बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब समिति से खाद-बीज का वितरण होता था तो यहां काफी भीड़ रहा करती थी। बीस वर्ष पूर्व विभागीय लापरवाही के चलते समिति बंद हो गई। काफी समय तक भवन निष्प्रयोज्य पड़ा रहा। यहां के किसानों को पड़ोस के गांव सिकंदरपुर की समिति से जोड़ दिया गया। तब से लोग वहीं से खाद-बीज खरीदते हैं। स्कूल की स्थापना के काफी समय बाद इस गांव के तत्कालीन प्रधान व परिसीमन के बाद वर्तमान में पड़ोसी गांव जमौलिया के प्रधान शिवकुमार सोनकर ने बताया कि सरकारी भवन पर कब्जा होते देख उन्होंने इसे खाली कराने का प्रयास किया था। बीडीओ के भी सामने यह बात उठाई थी लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। बाद में स्थानीय लोगों के दबाव पर भवन खाली कराने का प्रयास छोड़ दिया। वर्तमान प्रधान घनश्याम वर्मा कहते हैं कि अभी तो मैं एक साल से गांव का प्रधान बना हूं। सरकारी भवन का निजी उपयोग किसी भी दशा में उचित नहीं है। भवन खाली कराने का प्रयास किया जाएगा।
साधन सहकारी समिति भवन में चल रहा निजी विद्यालय ’ जागरणभवन किसका है इसकी जानकारी की जाएगी तथा उसका हर हाल में व्यक्तिगत उपयोग रोका जाएगा। किसी को भी सरकारी भवन का व्यक्तिगत हित में उपयोग नहीं करने दिया जाएगा।
- श्यामजी, खंड विकास अधिकारी, परशुरामपुर