कौशाम्बी : विद्यालयों के रसोई घरों में लगा ताला, कनवर्जन मनी नहीं आई यह बात सही है, लेकिन प्रधानाध्यापकों को भोजन बनवाने के लिए स्पष्ट निर्देश - बीएसए
अमर उजाला ब्यूरो कौशाम्बी । परिषदीय विद्यालयों के अधिकांश रसोई घरों में ताला लग चुका है। चार महीने से कनवर्जन मनी नहीं मिली है। दिसंबर माह तक किसी तरह मध्याह्न भोजन बनवाने वाले शिक्षकों ने अब हाथ खड़े कर लिए हैं। चुनाव आचार संहिता लगने के बाद इन्हीं स्कूलों के बच्चों से मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भूखे पेट बच्चे गली-गली घूमकर मतदाताओं को जागरूक करने के लिए नारेबाजी कर रहे हैं, लेकिन पेट की आग शांत नहीं की जा रही है।
जिले में लगभग 1600 प्राथमिक व साढ़े चार सौ जूनियर विद्यालय हैं। यहां पढ़ने वाले छात्रों को सरकार की ओर से दोपहर का भोजन दिया जाता है। मध्याह्न भोजन योजना के संचालन के लिए ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक के खाते में रकम भेजी जाती है। चार माह से जिले को मिड डे मील के संचालन के लिए कनर्वजन नहीं मिली है। इससे यह व्यवस्था चरमरा गई है। अक्टूबर 2016 से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के खाते में कनवर्जन मनी की फूटी कौड़ी नहीं पहुंच सकी। खाते में रुपये न आने से कुछ स्कूलों के अध्यापकों ने तो मिड-डे-मिल का कोरम जेब से पूरा किया तो कुछ ने रसोई में ताला बंद रखा। इधर जनवरी माह में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद डीईओ के निर्देश पर शिक्षकों ने प्राथमिक व जूनियर के बच्चों को जागरूकता अभियान की रैली में लगा दिया। रैली में शामिल छात्र-छात्राएं भूखे पेट जागरूकता अभियान का बीड़ा उठाए रखा। चार माह बीत जाने के बाद जब कनवर्जन मनी नहीं आई तो अब शिक्षक भी वेतन लगाने से कतराने लगे हैं। उन्हें आशंका है कि कहीं उनका रुपये न फंस जाए। इसकी संभावना को देखते हुए अधिकांश स्कूलों के रसोई घरों में ताला लग चुका है। बानगी के तौर पर कौशाम्बी बीआरसी के प्राथमिक विद्यालय इटैला को लिया जा सकता है। यहां पर कनवर्जन मनी बंद होने के बाद से एक दिन भी भोजन बच्चों के लिए नहीं बनवाया गया।
पोलिंग पार्टियों को लेना होगा टिफिन का सहारा
विधान सभा चुनाव के लिए अधिकतर मतदान केंद्र गांवों के प्राथमिक व जूनियर स्कूलों को बनाया गया है। इन बूथों पर मतदान कराने जाने वाली पोलिंग पार्टियों, सुरक्षा कर्मियों के लिए भोजन मिड-डे-मिल के तहत ही बनवाया जाना है, लेकिन चार माह से प्रधानाध्यापकों के खाते में कनवर्जन मनी न पहुंचने से मिड-डे-मिल बंद चल रहा है। ऐसे में बूथ बने प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में पहुंचने वाली पोलिंग पार्टियों को या तो भूखों रहना होगा या फिर टिफिन का सहारा लेना होगा।
कनवर्जन मनी नहीं आई यह बात सही है, लेकिन प्रधानाध्यापकों को भोजन बनवाने के लिए स्पष्ट निर्देश हैं। चुनाव के चलते मानीटरिंग नहीं हो पा रही इससे कुछ विद्यालयों में अव्यवस्था होगी। चुनाव बाद सब कुछ पटरी पर ला दिया जाएगा।
- डीएस यादव, बीएसए कौशाम्बी