इलाहाबाद : शिक्षकों ने बनवाई हैट्रिक, शर्मा गुट के शिक्षक सुरेश त्रिपाठी ने लगातार तीन बार चुनाव जीतकर बनाया रिकार्ड
इलाहाबाद । इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का लगातार तीन चुनाव जीतकर हैटिक बनाने वाले सुरेश त्रिपाठी ने इतिहास रचा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’ से प्रत्याशी रहे सुरेश अपने प्रतिद्वंद्वी सपा समर्थित वित्तविहीन महासंघ प्रत्याशी अशोक राठौर को 668 मतों से पराजित किया। सुरेश को 7589 वोट मिले, जबकि अशोक राठौर 6921 मत ही पा सके। सुरेश को वैसे तो सारे जिलों से वोट मिला, परंतु इलाहाबाद के शिक्षकों ने अधिक साथ दिया। यहां 12 हजार से अधिक वोटर थे। इसमें अधिकतर मत सुरेश को मिला, जिससे उनकी राह आसान हो गई।
मूलत: जमुनीपुर कोटवा निवासी सुरेश त्रिपाठी रणजीत पंडित इंटर कालेज में हंिदूी के प्रवक्ता रहे हैं। मार्च 2017 में सेवानिवृत्त होने से पहले वह शिक्षा एवं शिक्षकों के उत्थान को निरंतर सक्रिय रहे। इनकी कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर शर्मा गुट अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने 2004 में तत्कालीन विधायक लवकुश मिश्र का टिकट काटकर सुरेश को मैदान में उतारा। इससे नाराज होकर लवकुश मिश्र ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ‘चेतनारायण गुट’ का दामन थामकर चुनाव लड़े। इस चुनाव में शिक्षकों ने सुरेश त्रिपाठी को हाथोंहाथ लिया। प्रथम वरीयता में सुरेश को 60 प्रतिशत से अधिक मत पाकर विजयी हुए। विधान परिषद चुनाव के इतिहास में यह अभी तक की सबसे बड़ी जीत किसी की नहीं हुई। जबकि 2010 में हुए चुनाव में सुरेश त्रिपाठी ने पुन: चेतनारायण गुट प्रत्याशी लवकुश मिश्र को पराजित किया। इस चुनाव में सुरेश की टक्कर सपा समर्थित वित्तविहीन महासभा प्रत्याशी अशोक राठौर से थी। वित्तविहीन शिक्षकों की भारी भरकम संख्या को देखते हुए लगा अबकी बाजी उलट जाएगी। लेकिन सुरेश त्रिपाठी ने सारे समीकरणों को ध्वस्त करते हुए जीत हासिल की।
काम आयी डॉ. शैलेश की रणनीति : सुरेश त्रिपाठी की जीत में उनके सबसे विश्वसनीय साथी डॉ. शैलेश पांडेय की भूमिका अहम रही। शर्मा गुट से प्रेमकांत त्रिपाठी, अजय सिंह सहित अनेक कद्दावर नेताओं को जोड़ने में शैलेश ने अहम भूमिका निभाई। शैलेश हर समय सुरेश के साथ साये की तरह रहे। इनके अलावा महेशदत्त शर्मा, कुंजबिहारी मिश्र, रमेशचंद्र शुक्ल, अनय प्रताप सिंह, अजय सिंह, इंद्रदेव पांडेय सुरेश त्रिपाठी के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हैं।
अपने हुए बेगाने, बढ़ते रहे आगे : विधायक के रूप में सुरेश त्रिपाठी का अब तक का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा। हर चुनाव के बाद कोई न कोई विश्वसनीय साथी अलग होता रहा। 1कभी एकदम खास रहे पूर्व जिलाध्यक्ष रामसेवक त्रिपाठी, जंगबहादुर सिंह पटेल उन्हें हराने के लिए चुनाव भी लड़े। परंतु सुरेश उससे बेखबर होकर निरंतर आगे बढ़ते रहे।