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इलाहाबाद : बीएलओ की मनमानी से मतदान पर फिरा पानी

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इलाहाबाद : बीएलओ की मनमानी से मतदान पर फिरा पानी

इलाहाबाद । कम वोटिंग में इलाहाबाद सबसे फिसड्डी निकला, इसके लिए मतदाताओं के साथ प्रशासन भी जिम्मेदार है। वोटर लिस्ट बनवाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बीएलओ (बूथ लेबल अफसर) ने प्रशासन को धोखा दिया। घर-घर जाकर सत्यापन करने के बजाय मनमाने तरीके से वोटरों में नाम जोड़े और काटे गए। अफसरों ने भी इसे क्रॉस चेक नहीं किया, बल्कि बिना जांच के लिस्ट को हरी झंडी दे दी। वोटर लिस्ट में हुई भारी गड़बड़ी के कारण मतदाताओं को बूथों से खाली हाथ लौटना पड़ा। किसी का लिस्ट में दो से तीन जगह नाम दर्ज था तो किसी के पास मतदाता पहचान पत्र होने के बावजूद मतदाता सूची में उसका नाम नहीं था। नतीजा कि मतदाता जागरूकता के तमाम प्रयासों के बावजूद इलाहाबाद में मतदान प्रतिशत मुंह के बल गिरा।

निर्वाचन कार्य के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विभागों के कर्मचारियों को बीएलओ बनाया गया था। वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के दौरान उन्हें घर-घर जाकर सत्यापन करना था कि दिए गए पते पर वोटर रहते हैं या नहीं। यह भी देखना पड़ता है कि वोटर लिस्ट में जिस मतदाता का नाम है, वह जीवित है या नहीं। ऐसे तमाम तथ्यों के सत्यापन के बाद वोटर लिस्ट को अंतिम रूप दिया जाता है। बीएलओ ने मनमाने तरीके से वोटरों के नाम काट दिए। नतीजा कि बृहस्पतिवार को मतदान के दौरान वोटर जब मतदाता पहचान पत्र लेकर बूथ पर पहुंचे तो वहां रखी मतदाता सूची से उनका नाम गायब था। मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज स्थित मतदान केंद्र में हजारों वोटरों के नाम गायब थे जबकि सभी के पास मतदाता पहचान पत्र था। ऐसी शिकायतें सभी विधानसभा क्षेत्रों से आईं। अगर इन वोटरों को मतदान का मौका मिलता तो स्थिति इतनी खराब न होती।

वोटर लिस्ट बनाने में जबर्दस्त लापरवाही की गई। प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में वोटरों की संख्या 43 लाख 61 हजार 167 है। मतदाता बनने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है और प्रशासन की ओर से जारी आंकड़े ही बताते हैं कि जिले में 18 वर्ष से आयु वर्ग के लोगों की आबादी 40 लाख 25 हजार 407 है। यानी आबादी से अधिक संख्या वोटरों की है, जो संभव नहीं है। दरअसल, मतदाता सूची में कई वोटरों के नाम दो से तीन बार दर्ज हैं जबकि मतदान उन्हें एक बार ही करना होता है। ऐसे में मतदान प्रतिशत कम होना लाजिमी है। अगर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के दौरान इस गलती को गंभीरता के साथ दूर कर लिया गया होता तो मतदान प्रतिशत बेहतर हो सकता था।

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