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सम्भल : शिक्षा के साथ नीरज बांट रहे माता-पिता का प्यार

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सम्भल : शिक्षा के साथ नीरज बांट रहे माता-पिता का प्यार

सम्भल । प्राथमिक विद्यालयों की बदहाली किसी से छिपी नहीं हैं। इन स्कूलों में तैनात अध्यापक भी सिर्फ फर्ज अदायगी कर रहे हैं। लेकिन लोगों के इस मिथक को तोड़ रहे हैं पवांसा विकास खंड के भूड़ क्षेत्र के निबौरा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात अध्यापक नीरज वशिष्ठ। इस स्कूल में पिछले सात वर्षो से वह न सिर्फ बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं बल्कि उन्हें स्वस्थ रहने के लिए टिप्स देते हुए बच्चों को पूरा प्यार व सहयोग प्रदान करते हैं।
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पवांसा के निबौरा गांव वर्ष 2010 में मेरठ निवासी डॉ. नीरज वशिष्ठ को तैनाती मिली थी। इससे पहले वह मेरठ के तेजस्वी कालेज ऑफ एजुकेशन में प्रवक्ता पद पर तैनात थे। जिस समय वह यहां आए उस समय विद्यालय में 80 बच्चे पंजीकृत थे। इसके बाद भी स्कूल पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों की संख्या कभी 20- 25 से अधिक नहीं दिखाई देती थी। स्कूल की यह दशा देख नीरज को काफी निराशा हुई। उन्होंने स्कूल को बेहतर करने की ठानी और स्कूल के शैक्षिक स्तर में सुधार करते हुए बच्चों के अभिभावकों को भी उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। उनकी मेहनत रंग लाई। वर्तमान में पंजीकृत बच्चों की संख्या बढ़कर 240 का आंकड़ा पार कर चुकी है और तो और उपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी प्रतिदिन 200 से अधिक ही रहती है। वह बच्चों को बेहतर शिक्षक की भांति पढ़ाते हैं, दोस्तों की तरह व्यवहार करते हैं और माता-पिता के जैसा प्यार करते हैं। यही कारण है कि बच्चे और अभिभावक भी उन्हें पूरा सम्मान देते हैं। वर्ष 2015 में उनका ट्रांसफर भमौरी पट्टी गांव के प्राथमिक विद्यालय में कर दिया गया था। इसकी जानकारी जैसे ही ग्रामीणों को हुई तो वे विभागीय अफसरों से मिलकर उनका स्थानांतरण रुकवाने को तुल गए। वर्ष 2016 में प्रमोशन के साथ सौंधन गांव में ट्रांसफर किया गया। ग्रामीण इस दफा भी उन्हें किसी हालत में जाने देने के लिए तैयार न थे। अफसरों को फिर नीरज का स्थानांतरण रोकना पड़ा और वहीं गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में उनकी तैनाती कर दी गई। वह प्रात: विद्यालय पहुंचकर स्वयं सारी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराते हैं और उसके बाद बच्चों को योगासनों का अभ्यास कराते हैं। स्कूल समय के बाद पढ़ाई में कमजोर बच्चों को निश्शुल्क ट्यूशन भी पढ़ाते हैं।

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