इलाहाबाद : सीबीएसई से केंद्र बनाना नहीं सीखता यूपी बोर्ड, सीबीएसई में केंद्र घटे, यूपी बोर्ड में परीक्षार्थी घटे, केंद्र ज्यों का त्यों
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शैक्षिक सत्र बदलना हो या फिर पाठ्यक्रम यूपी बोर्ड सीबीएसई बोर्ड के हर छोटे-बड़े निर्णयों की नकल करता रहा है। केंद्र निर्धारण एवं परीक्षा कराने के तरीके की नकल यूपी बोर्ड नहीं कर रहा है। इसीलिए यूपी बोर्ड में हर साल परीक्षा केंद्र निर्धारण में देरी हो रही है और परीक्षाओं के दौरान नकल रोके नहीं रुकती। इस बार तो फरवरी में केंद्रों का निर्धारण पूरा हो सका है। 1माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड कुछ निर्णयों को छोड़कर बाकी मामलों में वर्षो पुरानी लकीर पीट रहा है। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के लिए हर साल परीक्षा नीति बनाना और फिर उसे जिले में भेजकर अनुपालन करने का निर्देश देना और आखिरकार काफी विलंब से केंद्र तय होना आम बात है। इतनी मशक्कत के बाद भी परीक्षाओं में नकल रुकने का नाम नहीं ले रही। इसीलिए हर बार बड़ी संख्या में केंद्र डिबार होते हैं। इसमें बदलाव नहीं किया जा रहा है। खास बात यह है कि उन प्रकरणों की सीबीएसई से नकल की जा रही है, जो यूपी बोर्ड की बेहतर रही है। मसलन, यहां का सत्र एवं समय। यूपी बोर्ड में सत्र की शुरुआत जुलाई से होती रही है और स्कूल सुबह दस बजे से चार बजे तक रहा है, यह समय ग्रामीण परिवेश के लिहाज से बेहतर रहा है। यूपी बोर्ड के बड़ी संख्या में स्कूल ग्रामीण परिवेश में भी हैं। इतना ही नहीं उत्तर भारत में पड़ने वाली बेतहाशा गर्मी को देखते हुए जुलाई उपयुक्त रही है, लेकिन नकल करने में दोनों में बदलाव किया है। पाठ्यक्रम 11 एवं 12 का अलग-अलग हुआ है और स्कूल सुबह नौ से तीन बजे तक एवं सत्र जुलाई के बजाए अप्रैल से शुरू किया गया, अब इसमें फिर बदलाव की उम्मीद बंधी है। 1खास बात यह है कि यूपी बोर्ड केंद्र निर्धारण व परीक्षा नीति की बातें सीबीएसई से नहीं सीख रहा है। सीबीएसई में जहां छात्र-छात्रएं पंजीकृत होते हैं उसी स्कूल में परीक्षाएं होती हैं। साथ ही परीक्षा नीति जैसा कोई तामझाम भी नहीं रहता। ऐसे ही केंद्रों का जिला स्तर व मंडल स्तर का अनुमोदन भी नहीं होता। बेहद आसानी से केंद्र बन जाते हैं। यूपी बोर्ड में मंडलीय समिति का औचित्य किसी के समझ नहीं आ रहा है। अनायास अफसरों को इसमें शामिल किया गया है। वह न तो इस परीक्षा में रुचि लेते हैं और न ही केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया ही समय पर पूरा करते हैं। ज्ञात हो कि इस बार फरवरी में केंद्र बन सके हैं। परीक्षा नीति हर साल प्रकाशित होती है। इसमें समय व धन खर्च होने के बाद भी डिबार विद्यालय फिर परीक्षा केंद्र बन जाते हैं और नीति के निर्देशों का अनुपालन नहीं हो पाता है।1सीबीएसई में इस बार हाईस्कूल एवं इंटर दोनों में परीक्षार्थी बढ़े हैं, मूल्यांकन कराने की वजह से केंद्रों की संख्या पिछली बार से 78 कम हो गई है, वहीं यूपी बोर्ड में इस साल परीक्षार्थी साढ़े सात लाख से अधिक कम हुए हैं, लेकिन केंद्र केवल 175 घटे हैं। और तो और इलाहाबाद शहर में परीक्षार्थी घटने के बाद केंद्र बढ़ा दिए गए हैं।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शैक्षिक सत्र बदलना हो या फिर पाठ्यक्रम यूपी बोर्ड सीबीएसई बोर्ड के हर छोटे-बड़े निर्णयों की नकल करता रहा है। केंद्र निर्धारण एवं परीक्षा कराने के तरीके की नकल यूपी बोर्ड नहीं कर रहा है। इसीलिए यूपी बोर्ड में हर साल परीक्षा केंद्र निर्धारण में देरी हो रही है और परीक्षाओं के दौरान नकल रोके नहीं रुकती। इस बार तो फरवरी में केंद्रों का निर्धारण पूरा हो सका है। 1माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड कुछ निर्णयों को छोड़कर बाकी मामलों में वर्षो पुरानी लकीर पीट रहा है। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के लिए हर साल परीक्षा नीति बनाना और फिर उसे जिले में भेजकर अनुपालन करने का निर्देश देना और आखिरकार काफी विलंब से केंद्र तय होना आम बात है। इतनी मशक्कत के बाद भी परीक्षाओं में नकल रुकने का नाम नहीं ले रही। इसीलिए हर बार बड़ी संख्या में केंद्र डिबार होते हैं। इसमें बदलाव नहीं किया जा रहा है। खास बात यह है कि उन प्रकरणों की सीबीएसई से नकल की जा रही है, जो यूपी बोर्ड की बेहतर रही है। मसलन, यहां का सत्र एवं समय। यूपी बोर्ड में सत्र की शुरुआत जुलाई से होती रही है और स्कूल सुबह दस बजे से चार बजे तक रहा है, यह समय ग्रामीण परिवेश के लिहाज से बेहतर रहा है। यूपी बोर्ड के बड़ी संख्या में स्कूल ग्रामीण परिवेश में भी हैं। इतना ही नहीं उत्तर भारत में पड़ने वाली बेतहाशा गर्मी को देखते हुए जुलाई उपयुक्त रही है, लेकिन नकल करने में दोनों में बदलाव किया है। पाठ्यक्रम 11 एवं 12 का अलग-अलग हुआ है और स्कूल सुबह नौ से तीन बजे तक एवं सत्र जुलाई के बजाए अप्रैल स