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लखनऊ : हर साल खर्च होता है 19 हजार करोड़ पर 75 प्रतिशत बच्चे गुणा-भाग में फेल

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लखनऊ : हर साल खर्च होता है 19 हजार करोड़ पर 75 प्रतिशत बच्चे गुणा-भाग में फेल

ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ : यूपी में लाख कोशिशों के बाद भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। सालाना 19 हजार करोड़ रुपये सर्व शिक्षा अभियान में खर्च करने के बाद भी सूबे में पढ़ाई का स्तर नहीं सुधर पा रहा है।
इसी का नतीजा है कि कक्षा आठ के 74.5 प्रतिशत बच्चे गुणा-भाग नहीं कर पाते। सिर्फ सरकारी ही नहीं, निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 51.2 प्रतिशत बच्चे भी गुणा-भाग करना नहीं जानते। वहीं, कक्षा पांच के 56.8 फीसदी बच्चे कक्षा तीन की किताब भी नहीं पढ़ पाते।
गैर सरकारी संगठन प्रथम एजूकेशन फाउंडेशन की एनुअल स्टेटस ऑफ एजूकेशन रिपोर्ट (असर) के सर्वे में ये बातें सामने आई हैं। शुक्रवार को असर की निदेशक डॉ. विलमा वाधवा ने मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन के सामने 2016 की सर्वे रिपोर्ट पेश की।
हर जिले में 20 गांवों के 20 घरों के बच्चों को लेकर यह सर्वे किया गया है। साथ ही 1966 स्कूलों के अवलोकन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसके अनुसार, प्रदेश में सिर्फ 2.7 प्रतिशत बच्चों के लिए कंप्यूटर उपलब्ध है। 2010 में यह आंकड़ा मात्र 1.4 प्रतिशत था।

*हालात देखने के बाद ये दिए गए निर्देश*

मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन ने कहा कि स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति और सीखने की क्षमता चिंता का विषय है।
उन्होंने बेसिक शिक्षा के सचिव को निर्देश दिए कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और उनमें सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाएं और उस पर अमल करें।
संस्था की सदस्य डॉ. रुक्मणी बनर्जी ने बताया कि कुछ स्थानों पर वीडियो और कंप्यूटर के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसे बच्चों में सीखने की ललक अधिक होती है। इसी तरह की व्यवस्था अगर स्कूलों में की जाए तो सुधार देखने को मिल सकता है।

*छठवीं के बच्चे भी नहीं पहचान पाते हिंदी के अक्षर*

सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ में पढ़ने वाले 3.3 प्रतिशत बच्चे हिंदी के अक्षर तक नहीं पहचान पाते। कक्षा पांच में पढ़ने वाले 56.8 प्रतिशत बच्चे कक्षा तीन की किताब नहीं पढ़ पाते।

जहां तक अक्षर पहचानने की बात है तो कक्षा 1 में 49.7 प्रतिशत, कक्षा 2 में 27.3 प्रतिशत और कक्षा तीन में 16.2 प्रतिशत बच्चे कोई अक्षर या अंक नहीं पहचान पाते।

नाम लिखाने के बाद भी आधे बच्चे नहीं जाते स्कूल
स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति औसतन 55.8 प्रतिशत है। लगभग 44.2 प्रतिशत बच्चे नाम लिखाने के बाद भी बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं।

16 साल की उम्र पूरी करते ही स्कूल छोड़ देती हैं एक चौथाई लड़कियां

असर ने अपनी रिपोर्ट 6 से 16 साल की आयुवर्ग के बच्चों पर तैयार की है। इसमें बताया गया है कि 15-16 साल की उम्र पूरी करते ही 25 प्रतिशत लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं। वहीं 19 प्रतिशत लड़के भी इस उम्र में पढ़ाई छोड़ देते हैं।

स्कूलों में नहीं शौचालय
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 48.5 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां लड़कियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है। वहीं 18 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों को पीने योग्य पानी भी नहीं मिलता।

5 प्रतिशत से अधिक बच्चे अब भी स्कूल से दूर
रिपोर्ट के अनुसार, 6 से 14 साल के बच्चों का एनरोलमेंट 95 प्रतिशत के करीब है। इनमें 40.2 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में और 52.1 प्रतिशत निजी स्कूलों में जा रहे हैं। कुछ बच्चे अन्य संसाधनों से पढ़ाई कर रहे हैं। 5 प्रतिशत से अधिक बच्चे अब भी स्कूल नहीं जा रहे। हालांकि अध्यापक क्या पढ़ा रहे हैं और बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, यह रिपोर्ट में झलक रहा है।

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