उन्नाव : प्राथमिक व जूनियर परीक्षा में खर्च होंगे 50 लाख
अमर उजाला ब्यूरो, उन्नाव । परिषदीय स्कूलों के शैक्षिक स्तर को कांवेंट स्कूलों की तर्ज पर लाने के लिए सरकारें करोड़ों का बजट खर्च कर रहीं हैं। जबकि आरटीई एक्ट की बंदिशों के कारण किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता। बच्चों की मेहनत का मूल्यांकन न होने से परीक्षा मजाक बनकर रह गई है। औपचारिक परीक्षा कराने के लिए सरकार जिले को 50 लाख का भारी भरकम बजट दे रही है। जिसमें से 18 लाख का बजट छमाही परीक्षा में जारी भी हो चुका है।
बेसिक शिक्षा विभाग के 2305 प्राथमिक व 832 जूनियर स्कूल जिले में हैं। इन स्कूलों में 2.37 लाख बच्चे हैं। छात्रों के शिक्षण व विभिन्न योजनाओं में सरकारें हर साल करोड़ों का बजट खर्च कर रही हैं। जिसमें छमाही व वार्षिक परीक्षाओं में खर्च होने वाला लाखों का बजट भी शामिल है। पिछले साल की वार्षिक परीक्षा में 31 लाख 80 हजार 800 रुपये का बजट जारी हुआ था। 2016-17 की 18 मार्च से शुरू हो रही वार्षिक परीक्षा में लगभग 31 लाख का बजट मिलने का अनुमान अधिकारी लगा रहे हैं।
इससे पहले छमाही परीक्षा के लिए सर्व शिक्षा अभियान मिशन से 18 लाख का बजट मिल चुका है। परीक्षा प्रभारी राजेश त्रिपाठी ने 18 लाख का बजट मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस बार भी छात्रों को प्रिंट पेपर व उत्तर पुस्तिकाएं दी जाएंगी। उन्होंने वार्षिक परीक्षा में 32 लाख का बजट मिलने की संभावना जताई है। इतने खर्च के बाद नियमों की बाध्यता ऐसी है कि छात्र उत्तर पुस्तिका को कोरा भी छोड़ दे तो भी शिक्षक फेल नहीं कर सकते।
पिछले साल 31.80 लाख मिला था बजट
2015-16 की वार्षिक परीक्षा में जिले को 31 लाख 80 हजार 800 रुपये का बजट जारी हुआ था। इसमें प्राथमिक स्कूल के प्रति छात्र के हिसाब से 10 रुपये व जूनियर स्तर के प्रति छात्र पर 20 रुपये खर्च हुए थे। परीक्षा प्रभारी ने इस बार भी पुराने शासनादेश के तहत ही बजट जारी होने की संभावना जताई है।
डायट से बनेंगे परीक्षा प्रश्नपत्र
परिषदीय स्कूलों की परीक्षाएं भले ही कोई मायने नहीं रख रही, लेकिन तैयारियों में कोई कमी नहीं है। परीक्षा प्रभारी राजेश त्रिपाठी ने बताया कि वार्षिक परीक्षाओं के प्रश्नपत्र डायट प्रवक्ता तैयार करेंगे। वहीं बीएसए व लेखाधिकारी की मानीटरिंग में परीक्षा होगी।
ग्राम शिक्षा निधि खाते में भेजी जाएगी रकम
परीक्षा प्रभारी ने बताया कि वार्षिक परीक्षाओं में छात्रों को दी जाने वाली उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद शिक्षकों को ही करनी होगी। उन्होंने बताया कि छात्र संख्या के आधार पर कापियों की खरीदारी के लिए बजट दिया जाएगा। जो धनराशि ग्राम शिक्षा निधि खाते में ट्रांसफर की जाएगी।