लखनऊ : देश के विकास के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम आवश्यक
प्रमुख संवाददाता लखनऊ । उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय में गुरुवार से बायोलॉजिकल साइंसेज एण्ड बायो स्टैटिक्स विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी शुरु हुई। इसका उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केबी पाण्डेय ने कहा कि किसी भी देश के विकास के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम आवश्यक है।
पाठ्यक्रम को अपडेट करके ही छात्रों को नवीन जानकारी एवं विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नए-नए शोध कार्यों के बारे में बताया जा सकता है। उन्होंने जैव विज्ञान की महत्ता के बारे में कहा कि आयुर्वेद का प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण योगदान है। आयुर्वेद के माध्यम से स्वस्थ मानव शरीर एवं स्वस्थ मस्तिष्क विकसित करने में सहायता मिलती है। मुख्य वक्ता नेशनल साइंस एकेडमी के महासचिव प्रो. यूसी श्रीवास्तव ने कहा कि जैव-विज्ञान एक विस्तृत क्षेत्र है जिसमें विज्ञान की सभी विधाएं समाहित हैं। कहा कि आज जैव-सांख्यिकी के माध्यम से हम जैव-विज्ञान के निष्कर्ष आसानी से ज्ञात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नैनो-टेक्नोलॉजी आज समाज में बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। इसके माध्यम से कठिन से कठिन कार्य आज सरलता से सम्पादित किए जा रहे हैं। अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि जैव सांख्यिकी विज्ञान के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण विषय के रूप में देखा जा रहा है। बीमारी की गंभीरता को जैव-सांख्यिकी के माध्यम से नापा जा सकता है। न केवल बीमारी वरन उसकी अवस्थाओं को परिभाषित करने में जैव-सांख्यिकी का उपयोग हो रहा है।
अतिथियों का स्वागत सेमिनार की संयोजक डॉ. श्रुति ने किया। आयोजन सचिव डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता ने संगोष्ठी के बारे में तथा संयुक्त सचिव मनोज कुमार बलवन्त ने विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी। संचालन समन्वयक डॉ. गौरव संकल्प और धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के निदेशक डॉ. आशुतोष गुप्ता ने किया। इस अवसर संगोष्ठी के ई-सोविनियर का विमोचन किया गया।