इलाहाबाद : टॉपर नर्सरी कालेजों की निगरानी देखना है कि कहीं टॉपर बनाने का कोई ‘शार्टकट रास्ता’ तो नहीं
धर्मेश अवस्थी’ इलाहाबाद । यूपी बोर्ड की वर्ष 2015 की हाईस्कूल परीक्षा में बस्ती जिले की जीएसएएस एकेडमी का छात्र टॉपर रहा है तो 2016 में रायबरेली जिले की विबग्योर पब्लिक इंटर कालेज की सौम्या पटेल ने परचम लहराया था। इसी तरह से पिछले वर्षो में इंटर में लखनऊ पब्लिक स्कूल, महारानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल इंटर कालेज बाराबंकी के छात्र अव्वल रहे। ऐसे वह सभी कालेज जहां से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में टॉपर निकले हैं उन पर यूपी बोर्ड खासा गंभीर है। इन कालेजों की गुपचुप कड़ी निगरानी भी की जा रही है कि कहीं टॉपर बनाने का कोई ‘शार्टकट रास्ता’ तो नहीं है।
बिहार प्रांत में पिछले साल हाईस्कूल व इंटर के टॉपर छात्र-छात्रओं का कथित ज्ञान सामने आने के बाद से यूपी बोर्ड चौकन्ना हो गया है। वैसे तो पिछले कई वर्षो से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की अधिकृत प्रदेश स्तरीय टॉपर सूची बोर्ड जारी नहीं करता है, लेकिन मीडिया की सहूलियत के लिए हर साल दोनों परीक्षा के टॉपरों के नाम, अनुक्रमांक, प्राप्तांक और संबंधित कालेज बता दिए जाते हैं। यूपी बोर्ड के अधिकांश कालेजों में पढ़ाई और उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन की स्थिति किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में बोर्ड प्रशासन ने इस बार परीक्षा कार्य में लगे अफसरों को निर्देश दिया है कि पिछले तीन वर्ष में प्रदेश के जिन कालेजों (हाईस्कूल व इंटरमीडिएट) के छात्र-छात्रओं ने टॉप टेन में नाम दर्ज कराया है वहां की परीक्षा की गुपचुप कड़ी निगरानी की जाए। ऐसे कालेजों पर नजर रखने वाले अफसर हर दिन संबंधित बड़े अफसर को रिपोर्ट भी कर रहे हैं। बोर्ड प्रशासन ने यह कदम इसलिए उठाया कि कई ऐसे कालेज हैं जहां से लगभग हर साल या फिर कुछ अंतराल के बाद टॉपर निकलते हैं। आशंका है कि कहीं टॉपर तैयार करने में कोई खेल तो नहीं हो रहा? बोर्ड ने इसके आगे भी तैयारी की है। उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय भी इन कालेजों के परीक्षार्थियों की कॉपियों पर विशेष निगाह रहेगी। सवाल का जवाब क्या लिखा गया और कैसे लिखा गया जो अच्छे अंक दिला रहा है। यही नहीं यदि सब कुछ दुरुस्त मिला तो उस कालेज के पठन-पाठन व परीक्षा व्यवस्था को मॉडल करार दिया जाएगा। इस कदम से गड़बड़ी होने की बात भी खत्म होगी।
अधिक अंक पाने वालों का अंकेक्षण 1यूपी बोर्ड इस बार उन उत्तरपुस्तिकाओं का अंकेक्षण भी करा रहा है जिन्हें अधिक अंक यानी नब्बे प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले हो। इसमें मूल्यांकन केंद्र के उप प्रभारी उस कॉपी को देखेंगे और नये सिरे से अंक को जोड़ेंगे, ताकि किसी खामी की गुंजाइश न रह जाए। बोर्ड का कहना है कि इसे पुनमरूल्यांकन नहीं कहा जा सकता।
🔵 तीन साल से प्रदेश में टॉप आने वाले कालेजों के परीक्षा इंतजाम पर नजर
🔴 मूल्यांकन में कॉपियों पर होगी निगाह, यदि बेहतर तो मॉडल बनाने की तैयारी
यूपी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटर के वह कालेज जहां से पिछले तीन वर्ष में टॉपर छात्र-छात्रएं निकली हैं उनकी निगरानी हो रही है। मूल्यांकन में भी चौकसी रखेंगे। यदि सब बढ़िया मिला तो उस कालेज को मॉडल के रूप में चर्चित करेंगे और बताएंगे कि इस तरह जवाब लिखना चाहिए और ऐसी पढ़ाई करानी चाहिए।
- शैल यादव, सचिव यूपी बोर्ड इलाहाबाद