इलाहाबाद : मुट्ठीभर शिक्षकों ने निभा दी धरने की रस्म, धरने से आम शिक्षकों का कोई लेना-देना नहीं, भ्रष्टाचार खत्म हो, वरना जेल भरेंगे शिक्षक
भ्रष्टाचार खत्म हो, वरना जेल भरेंगे शिक्षक : शिक्षा निदेशालय में फैले भ्रष्टाचार को रोकने और शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से शिक्षा निदेशालय पर धरना प्रदर्शन दिया गया। इसमें शिक्षकों की समस्याएं रखी गईं। शिक्षक नेताओं ने शिक्षा में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सभी को एकजुट होकर संघर्ष करने के प्रति शिक्षकों का आवाह्न किया। शिक्षकों से संघ के प्रदेश अध्यक्ष एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि निदेशालय को 15 दिन का समय दे रहे हैं। भविष्य में किसी भी विभागीय निर्देश का तक तब पालन नहीं किया जाएगा, जब तक निदेशालय स्तर से शिक्षकों के सभी अवशेष वापस लेकर संबंधित मंडलों को निस्तारण व भुगतान के लिए नहीं भेजा जाता। इलाहाबाद-झांसी क्षेत्र के एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि प्रकरणों का निस्तारण नहीं हुआ तो जेल भरो आंदोलन करेंगे। धरने में शिक्षक दल के पांचों विधायक हेम सिंह पुण्डीर, जगबीर किशोर जैन, ध्रुव त्रिपाठी थे।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : सूबे में सरकार बदली है। नए मुख्यमंत्री पूरे एक्शन में हैं। सुविधा हो या जन सरोकार से जुड़े मामले या फिर भ्रष्टाचार। नई सरकार तनिक भी रियायत देने के मूड में नहीं है। ऐसे में शर्मा गुट को अब भ्रष्टाचार और शिक्षक समस्याओं की याद आई है। बेमौसम बारिश की तरह शुक्रवार को हुए धरने में मुट्ठीभर ही शिक्षक जुटे। जो शिक्षक यहां पहुंचे वह भी बड़े नेताओं की गाड़ियों से आए थे, यानी आम शिक्षक का धरने से कोई लेना-देना नहीं था।
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट का शिक्षा निदेशालय इलाहाबाद में धरना वार्षिक कार्यक्रम का हिस्सा है। हर साल इसी तरह का आंदोलन किया जाता है। असल में विधान परिषद में शर्मा गुट के सबसे अधिक प्रतिनिधि हैं। वहां पर यह विधायक सरकार को अपनी बातें मनवा नहीं पाते। शायद इसीलिए एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों की पुरानी पेंशन को खत्म किया गया। ऐसे ही राजकीय कर्मचारियों व शिक्षकों को चिकित्सीय सुविधा दी जाती है, लेकिन अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को इसका लाभ नहीं मिलता। इसका सदन व जिलास्तर पर पुरजोर विरोध नहीं होता है। इस समय शिक्षकों के अवशेष को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है, जबकि संगठन यदि जिला स्तर पर ही सक्रिय होकर कार्य करें तो अवशेष की बात वित्त वर्ष पूरा होने पर करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
अवशेष प्रकरण का निस्तारण कहां होगा शासन ने यह भी तय कर रखा है, लेकिन संगठन उसका पालन न करके सस्ती लोकप्रियता के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर रहा है। सवाल यह है कि आखिर हर साल ऐसे आंदोलन की जरूरत क्यों पड़ती है? शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष व पूर्व एमएलसी प्रत्याशी राम सेवक त्रिपाठी कहते हैं कि संगठन की धार कुंद हो गई है अफसर भी इन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अपना वजूद बचाने के लिए यह सब हो रहा है।
🔴 सदन में सरकार से नहीं मनवा पाए मांगे, अब शिक्षकों के बीच गरज रहे
🔵 संगठन की अनदेखी के कारण निदेशालय स्तर तक की भागदौड़