अमरोहा : आर्थिक तंगी के कारण समाज में काफी बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जो स्कूल न जाकर छोटे-मोटे काम धंधे करके परिवार की आर्थिक करते हैं मदद, गरीब बच्चों को दिखा रहे उजियारे की राह
योगेंद्र योगी, अमरोहा । आर्थिक तंगी के कारण समाज में काफी बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जो स्कूल न जाकर छोटे-मोटे काम धंधे करके परिवार की आर्थिक मदद करते हैं। इन्हीं की मदद को अमरोहा के मुहल्ला मंडी चौक निवासी रामसरन अरोड़ा आगे आए हैं। जेएस हंिदूू इंटर कालेज से शिक्षक के पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त रामसरन प}ी कांता के साथ समाजसेवा के जरिये आगे की जिंदगी को सार्थक आयाम दे रहे हैं।
अरोड़ा दंपती गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजियारा लाने का काम कर रहा हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए निश्शुल्क कापी-किताबें और यूनिफार्म उपलब्ध कराते हैं। इसके पीछे दंपती का एक ही उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से वंचित न रह जाए। पिछले 17 साल से समाजसेवा में जुटा दंपती विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़ा हुआ है। ये हर साल 300 से 400 बच्चों की शिक्षा को जारी रखने में मदद करते हैं। वर्ष 1947 अरोड़ा का परिवार पाकिस्तान से रोहतक आकर बस गया था। पिता संतराम भी समाजसेवा से जुड़े थे। उनके ही पदचिह्नें पर चलते हुए रामसरन भी समाजसेवा से जुड़ गए। विभिन्न संस्थाओं के जरिए हर साल गरीब बेटियों की शादी में भी सहयोग करते हैं। गरीब परिवारों को खाद्यान्न भी उपलब्ध कराते हैं।
देहदान का किया एलान 178 बसंत पार कर चुके रामसरन निरोगी हैं और नियमित रूप से सुबह लोगों को योग सिखाते हैं। पिछले साल 13 दिसंबर को उन्होंने प}ी के साथ जिलाधिकारी के सामने देह दान का एलान किया था।
योगेंद्र योगी, अमरोहा : आर्थिक तंगी के कारण समाज में काफी बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जो स्कूल न जाकर छोटे-मोटे काम धंधे करके परिवार की आर्थिक मदद करते हैं। इन्हीं की मदद को अमरोहा के मुहल्ला मंडी चौक निवासी रामसरन अरोड़ा आगे आए हैं। जेएस हंिदूू इंटर कालेज से शिक्षक के पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त रामसरन प}ी कांता के साथ समाजसेवा के जरिये आगे की जिंदगी को सार्थक आयाम दे रहे हैं।
अरोड़ा दंपती गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजियारा लाने का काम कर रहा हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए निश्शुल्क कापी-किताबें और यूनिफार्म उपलब्ध कराते हैं। इसके पीछे दंपती का एक ही उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के चलते शिक्षा से वंचित न रह जाए। पिछले 17 साल से समाजसेवा में जुटा दंपती विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़ा हुआ है। ये हर साल 300 से 400 बच्चों की शिक्षा को जारी रखने में मदद करते हैं। वर्ष 1947 अरोड़ा का परिवार पाकिस्तान से रोहतक आकर बस गया था। पिता संतराम भी समाजसेवा से जुड़े थे। उनके ही पदचिह्नें पर चलते हुए रामसरन भी समाजसेवा से जुड़ गए। विभिन्न संस्थाओं के जरिए हर साल गरीब बेटियों की शादी में भी सहयोग करते हैं। गरीब परिवारों को खाद्यान्न भी उपलब्ध कराते हैं।
देहदान का किया एलान 178 बसंत पार कर चुके रामसरन निरोगी हैं और नियमित रूप से सुबह लोगों को योग सिखाते हैं। पिछले साल 13 दिसंबर को उन्होंने प}ी के साथ जिलाधिकारी के सामने देह दान का एलान किया था।
सेवानिवृत्ति के बाद भी रामसरन अरोड़ा द्वारा समाजसेवा और जनहित के कार्य करते रहना वाकई सराहनीय कार्य है। ये अच्छी बात है कि वह गरीब बच्चों को शिक्षित बनाने में योगदान कर रहे हैं। वहीं मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए देह दान का फैसला करके मिसाल पेश की है। उनकी तरह अन्य शिक्षकों को भी आगे आना चाहिए। 1-रवि दत्त, जिला विद्यालय निरीक्षक, अमरोहा।