इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के मूल रिकार्ड बदलने में फंसे पांच बाबू
इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के मूल दस्तावेज बदलने के मामले में पांच बाबू फंसते नजर आ रहे हैं। सचिव यूपी बोर्ड की सचिव शैल यादव के निर्देश पर गठित कमेटी ने जांच पूरी कर ली है। जांच में इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के पांच बाबू फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं।
मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक महेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कार्रवाई के संबंध में कोई संस्तुति नहीं की है। दोषी बाबुओं पर कार्रवाई का निर्णय सचिव के हाथ में है। बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव विनोद कृष्ण व बोर्ड मुख्यालय के उप सचिव सतेन्द्र सिंह को कमेटी का सदस्य बनाया गया था।
जेडी कार्यालय व स्कूलों पर नहीं हुई कार्रवाई
इलाहाबाद। तीन सदस्यीय कमेटी ने जो जांच की है उसमें संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय और उन स्कूल के लोगों को छोड़ दिया गया, जहां के रिकार्ड बदले गए। जानकारों की मानें तो सबसे पहले जेडी कार्यालय के बाबुओं की मिलीभगत से रिकार्ड बदले गए। इसके बाद स्कूल और फिर यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के टैबुलेशन रिकार्ड से छेड़छाड़ की गई।
सात राजकीय शिक्षकों की जा चुकी है नौकरी
हाईस्कूल और इंटर के मूल रिकार्ड बदलकर जालसाजी से इलाहाबाद मंडल के राजकीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक की नौकरी हथियाने वाले सात शिक्षकों की नौकरी जा चुकी है। यूपी बोर्ड व जेडी के बाबुओं और स्कूल से मिलीभगत से ये शिक्षक नवंबर 2015 से नौकरी कर रहे थे। बोर्ड के बाबुओं ने फर्जी सत्यापन तक भेज दिया था। अक्तूबर 2016 में हिन्दुस्तान ने फर्जीवाड़े का खुलासा किया था।
शैक्षिक रिकार्ड पर भर्ती के कारण हुआ खेल
राजकीय विद्यालयों में एलटी ग्रेड सहायक अध्यापकों की भर्ती शैक्षिक रिकार्ड के आधार पर किए जाने के कारण फर्जीवाड़े की जमीन तैयार हुई। शातिरों ने 10वीं-12वीं के मूल दस्तावेज में हेरफेर करने के साथ ही स्नातक, बीएड की डिग्री में भी खेल करके अधिक नंबर हासिल किए ताकि वे मेरिट में आ जाएं। अक्तूबर में इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद प्रतियोगियों ने शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा से कराने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। इसके बावजूद दिसंबर 2016 में 9342 सहायक अध्यापकों की भर्ती शैक्षिक रिकार्ड के आधार पर शुरू कर दी गई।
पुरानी भर्ती की भी कराई जा रही जांच
इलाहाबाद। राजकीय विद्यालयों में 2012 में चयनित एलटी ग्रेड शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच भी कराई जा रही है। कुछ शिक्षकों द्वारा शैक्षिक अभिलेखों में हेराफेरी कर फर्जी अंकपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने की शिकायत मिलने के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक महेन्द्र कुमार सिंह ने 31 जनवरी को सभी डीआईओएस को 2012 में चयनित शिक्षकों के अभिलेखों के सत्यापन के बाद ही वेतन जारी करने के निर्देश दिए थे।