इलाहाबाद : शिकायत किसी की, भविष्य किसी और का दांव पर लगा
अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद । आयोगों में हुई भर्तियों में घोटाले का आरोप लगाने वाले प्रतियोगियों को तो अब तक राहत नहीं मिली लेकिन उन प्रतियोगियों का भविष्य दांव पर लग गया है, जो इंटरव्यू और भर्तियों पर अचानक लगी रोक से प्रभावित हुए हैं। भर्ती घोटाले की शिकायत के आधार पर भर्ती प्रक्रिया तो रोक दी गई लेकिन ऐसा करने से पहले सरकार ने आयोगों से कोई रिपोर्ट नहीं मांगी। ऐसे में जिन्हें भर्ती प्रक्रिया से कोई शिकायत नहीं थी, वे भी अब मुसीबत में फंस गए हैं।
शासन के निर्देश पर सबसे पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में चल रहे इंटरव्यू रोके गए। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, बेसिक शिक्षा परिषद में भी भर्तियां रोक दी गईं। कार्रवाई हुए एक हफ्ते पूरे हो गए हैं लेकिन शासन स्तर से अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकी है। उधर, भर्ती आयोगों के अफसरों ने भी चुप्पी साध रखी है। ऐसे में जिन हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा है, उन्हें कहीं भी सही जवाब नहीं मिल पा रहा है।
उधर, शिकायत करने वाले अभ्यर्थी भी अब उहापोह की स्थिति में हैं। उन्हें उम्मीद थी कि सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार उनके आरोपों के आधार पर सपा के शासनकाल में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच के आदेश दे देगी लेकिन इस मामले में भी नई सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया। सरकार की चुप्पी के बाद अब तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। कहीं चर्चा हो रही है कि सीधी भर्ती में इंटरव्यू खत्म किए जा सकते हैं तो कहीं चर्चा है कि विशेषज्ञों के पैनल में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। हालांकि ऐसे तमाम संभावित बदलाव सिर्फ अटकलों तक ही सीमित हैं। ऐसे में जिन्हें भर्ती प्रक्रिया से शिकायत नहीं थी, उन्हें भी राहत तभी मिलने की उम्मीद है जब सरकार की ओर से स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर दी जाएगी।