सम्भल : बीईओ असमोली को शिक्षा में मिलेगा राष्ट्रीय सम्मान
संभल। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लखेनीय योगदान के लिए खंड शिक्षा अधिकारी असमोली बबीता सिंह को केंद्र सरकार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेगी। सूबे भर में छह खंड शिक्षा अधिकारियों को चयनित किया गया है। महिला अधिकारियों में वह अब तक पहली अधिकारी हैं, जिन्हें इस अवार्ड से नवाजा जा रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसे अधिकारियों के नाम नेशनल अवार्ड के लिए चयनित किए हैं जिन्होंने सीमित संसाधनों में शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के साथ ही कुछ नया करने की पहल की है। संभल जिले के असमोली ब्लाक की खंड शिक्षा अधिकारी बबीता सिंह को भी सीमित संसाधनों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है। उन्हें यह सम्मान पांच से सात मार्च तक दिल्ली के प्रवासी भारतीय संस्थान नई दिल्ली में होने वाली नेशनल कांफ्रेंस में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर प्रदान करेंगे। उन्होंने अपने प्रोजेक्ट ताकि गरीब बच्चों का स्कूल हो कानवेंट जैसा को साकार कर क्षेत्र के कई विद्यालयों में न केवल शैक्षिक माहौल सुधारा बल्कि उसे कानवेंट का लुक प्रदान किया। इसके लिए उन्हें कमिश्नर एल व्यंक्टेश्वर लू, डीएम भूपेंद्र सिंह, एडी बेसिक भगवत पटेल और बीएसए कई बार सम्मानित कर चुके हैं
क्या है प्रोजेक्ट
जर्जर भवन, जगह-जगह उगी झाड़ियां। कैंपस में गंदगी के ढेर और स्कूल परिसर में बंधे पालतू जानवर। असमोली ब्लाक के कई स्कूलों की यही तस्वीर थी। इसमें शाहपुर डसर, खासपुर प्राथमिक विद्यालय तो ऐसे थे जहां ग्रामीणों ने अवैध कब्जा कर रखा था। उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद इन स्कूलों की तस्वीर बदलने की ठानी। ताकि गरीब बच्चों का स्कूल हो कानवेंट प्रोजेक्ट तैयार किया। इस दौरान उन्हें ग्रामीणों का विरोध भी झेलना पड़ा। मगर वह पीछे नहीं हटी। उन्होंने न केवल विद्यालयों को कब्जो मुक्त कराया बल्कि यहां चहारदीवारी का निर्माण कराने के साथ झूले, रंगे-बिरंगे फूलों के पौधे, शौचालय का निर्माण कराया। हरथला प्राथमिक विद्यालय में अपने प्रयास से शौचालय का निर्माण कराया। बीआरसी की चहारदीवारी का निर्माण कराने के साथ ही इटायला माफी स्कूल को नई पहचान दिलाई।
अभियान से बढ़ा मतदान का प्रतिशत
खंड शिक्षा अधिकारी ने लोकतंत्र के उत्सव में रंग भरने के लिए भी उल्लेखनीय पहल की है। उन्होंने ग्रामीणों को मतदान के लिए प्रेरित करने को मशाल जुलूस, रैली, विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा मेहंदी, रंगोली के माध्यम से लोकतंत्र का मर्म लोगों को समझाया।