इलाहाबाद : प्राथमिक स्कूलों में सत्र की तैयारियां अधूरी, पाठ्यक्रम बदलाव का अनुमोदन नहीं
इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी नए शैक्षिक सत्र को लेकर कोई तैयारी नहीं है। इस बार शिक्षकों को स्पष्ट निर्देश तक नहीं मिले हैं, पिछले कुछ वर्षो से एक अप्रैल को सत्र शुरू होता आ रहा है। उसी लिहाज से इस बार भी खानापूरी हो जाएगी। नए सत्र के लिए विभागीय तैयारियां सिफर हैं। किताब, ड्रेस पर विचार तक नहीं हुआ है। सूबे की पूर्ववर्ती सरकार ने माध्यमिक के साथ प्राथमिक विद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से लागू किया था। पिछले साल सत्र शुरू होने से पहले ही बेसिक शिक्षा सचिव ने शैक्षिक कैलेंडर जारी किया था और किताबों का समय पर इंतजाम करने की हिदायत दे दी गई थी। इस बार अब तक शैक्षिक कैलेंडर का अता-पता नहीं है और न ही किताबों के प्रकाशन की दिशा में ही कदम बढ़ाए गए हैं।
यह जरूर है कि पिछले सत्र में बांटे जाने वाले स्कूल बैग और मिडडे-मील के बर्तन अब स्कूलों को पहुंच रहे हैं, उनको वितरित करने की खानापूरी चल रही है। ड्रेस को लेकर अफसरों में ऊहापोह है। पिछले सत्र में अक्टूबर-नवंबर में किताबों का वितरण जैसे तैसे हो पाया था। नया सत्र शुरू करते समय कुछ पुरानी किताबें छात्र-छात्रओं को वितरित की गई थी। शिक्षक इस बार अपने मन से उसी का अनुकरण करते हुए उत्तीर्ण होने वाले बच्चों की किताबें जमा करने का आदेश दे रहे हैं।
लचर कार्यशैली की स्थिति यह है कि रायबरेली आदि जिलों में 28 व 29 मार्च की शाम तक अंक पत्र छपकर स्कूलों में पहुंचे हैं, उनका वितरण 30 मार्च को करने के निर्देश हैं। अंक पत्र मिलने में देर होने के कारण शिक्षक किसी तरह से 31 मार्च तक अंक पत्र बांट पाएंगे। यही नहीं स्कूलों में नया सत्र शुरू करने के लिए कोई निर्देश विभागीय अफसरों की ओर से नहीं पहुंचा है कि स्कूलों में साज-सज्जा व रंगोली आदि बनाई जाएंगी या फिर जनप्रतिनिधियों को बुलाकर कार्यक्रम होंगे या नहीं।
बेसिक शिक्षा निदेशक का पद खाली
बेसिक शिक्षा के निदेशक का पद इस समय खाली चल रहा है। बीते 28 फरवरी को दिनेश बाबू शर्मा इस पद से रिटायर हो गए। उस समय नियमानुसार वरिष्ठ अपर शिक्षा निदेशक को इसका अतिरिक्त दायित्व दिया जाना चाहिए था। इसमें बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा का नाम सबसे ऊपर था, लेकिन मनमाने तरीके से बेसिक शिक्षा सचिव अजय कुमार सिंह ने यह अतिरिक्त कार्यभार ले रखा है। इससे विभाग पूरी तरह से ठप हो गया है।
पाठ्यक्रम बदलाव का अनुमोदन नहीं
बेसिक शिक्षा की कुछ पुस्तकों को रिवाइज्ड किया गया है। राज्य शिक्षा संस्थान ने पिछले दिनों लंबे समय तक कार्यशाला चलाकर पाठ्य पुस्तकों में बदलाव करने का खाका खींचा। यह बदलाव इसलिए हुआ ताकि बच्चों को पढ़ने में आसानी हो और लिपि के बजाय चित्र अधिक हों। राज्य शिक्षा संस्थान ने इस संबंध में प्रस्ताव परिषद को भेजा है। उसका अनुमोदन अभी नहीं हुआ है। इसके बाद ही किताबों का प्रकाशन होगा।