इलाहाबाद : शिक्षा महकमे के अफसरों की भी परीक्षा, यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा
इलाहाबाद । आगामी 16 मार्च से शुरू होने जा रही है। देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा में इस बार करीब 60 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल होंगे। तैयारियों के तमाम दावों के बीच बोर्ड को कई मोर्चो पर अभी जूझना है।
10 को बोर्ड मुख्यालय पर बैठक : यूपी बोर्ड की परीक्षा में कोई चूक न रह जाए इसके लिए बोर्ड प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा की तैयारियों को लेकर 10 मार्च को मुख्यालय पर बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में नकलविहीन परीक्षा कराने से लेकर अन्य तैयारियों की विस्तार से समीक्षा होगी। कई दिनों से बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारी बैठक की तारीख को लेकर असमंजस में थे, क्योंकि अलग-अलग चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के कारण सभी जिलों से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को एक साथ बुलाना मुश्किल हो रहा था।
दुनिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा की तैयारियां इन दिनों अंतिम चरण में हैं। प्रदेश में परीक्षा केंद्रों का निर्धारण पूरा कर लिया गया है, लेकिन पूरी तरह से नकलविहीन परीक्षा कराने के इंतजाम सिर्फ दावों तक ही सीमित हैं। परीक्षा के प्रवेशपत्र ऑनलाइन देने एवं उस पर परीक्षा कार्यक्रम देकर इस बार बोर्ड ने आंशिक तौर पर ही सही तकनीक के साथ कदमताल तेज किया है।
बोर्ड परीक्षाओं में केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ रही है। इस बार भी मुख्यालय पर ही कंप्यूटर के जरिये केंद्र बनाने की तैयारी थी, लेकिन शासन ने अंत में पैर वापस खींच लिए। जिला विद्यालय निरीक्षकों पर ही भरोसा जताया गया है। नकल रोकने के तमाम दावे किए गए हैं, लेकिन परिषद से लेकर अफसरों तक में असमंजस बरकरार है, क्योंकि सिर्फ नियमों के दम पर नकल रोकना संभव नहीं है।
प्रदेश के कुछ जिलों के गिने-चुने केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का प्रयास हुआ, लेकिन इस संबंध में शासन की ओर से निर्देश जारी न होने से यह कदम चंद स्कूलों से आगे नहीं बढ़ सका। 2015 व 2016 की परीक्षाओं में भी यह योजना टांय-टांय फिस्स हो चुकी है। इस बार प्रदेश में डिबार विद्यालयों की संख्या में तेजी से कमी आई है।
इसीलिए कुछ जिलों को छोड़कर केंद्र बनाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। गाजीपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ आदि ने केंद्र बनाने में विलंब किया है।
11413 स्कूल बने परीक्षा केंद्र : यूपी बोर्ड ने इस बार 11413 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया है। हालांकि इस बार करीब साढ़े सात लाख परीक्षार्थी पिछली बार की अपेक्षा घट गए हैं। इसके बाद भी परीक्षा केंद्रों की संख्या में उसके अनुरूप कमी नहीं आई है। 1इससे स्पष्ट है कि जिला विद्यालय निरीक्षकों ने चहेते स्कूलों को केंद्र बना दिया है। ऐसे में उन स्कूलों में नकल विहीन परीक्षा कराना खासी चुनौती होगी। इस बार 513 राजकीय कालेज, 3692 अशासकीय सहायता प्राप्त कालेज व 6208 वित्तविहीन कालेजों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
मूल्यांकन की चुनौती बरकरार - यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा इस बार भी दो चरणों में हुई। इसमें इंटर में तो बाहर के परीक्षक लगाए गए, लेकिन हाईस्कूल की परीक्षा आंतरिक मूल्यांकन के जरिए ही हुई है। इसमें प्रधानाचार्य ने ही परिषद की वेबसाइट पर परीक्षार्थी के अंक दर्ज कराए। इंटर में खेल, शारीरिक शिक्षा के अंक भी प्रधानाचार्य ने वेबसाइट पर दिया है।
अपने सिस्टम पर भरोसा - यूपी बोर्ड की परीक्षा में पिछली बार गैरहाजिर छात्र-छात्रओं पर नजर रखने के लिए परीक्षा मोबाइल एप का प्रयोग हुआ था। वह कारगर नहीं रहा, इस बार बोर्ड ने एप के बजाए अपने सिस्टम पर ऐतबार किया है। इसके लिए परीक्षा नीति जारी करते समय शासन ने उन्हीं विद्यालयों को केंद्र बनाने का निर्देश दिया, जहां कंप्यूटर, आपरेटर, जेनरेटर एवं इंटरनेट आदि का इंतजाम हो। उसके अनुरूप ही केंद्र बनाए गए हैं।
कोडिंग से रोकेंगे नकल
परीक्षा में नकल पर अंकुश लगाने के लिए इस बार भी प्रदेश के 31 जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है। इसमें शाहजहांपुर, मुरादाबाद, बदायूं, संभल, हरदोई, गोंडा, अंबेडकर नगर, सुलतानपुर, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, कुशीनगर, आगरा, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, एटा, मैनपुरी, फीरोजाबाद, कासगंज, आजमगढ़, जौनपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, चित्रकूट, बलिया, देवरिया, भदोही व गाजीपुर शामिल है। इन सभी जिलों की उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग कराई गई है। इससे कापियों की अदला-बदली रुकने की उम्मीद है।बोर्ड परीक्षाएं नकल विहीन व शांतिपूर्ण माहौल में कराने की लगभग पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं। अधिकांश तैयारियां पूरी हो चुकी हैं शेष कार्य जल्द ही पूरे हो जाएंगे। जिलों में कापियां भेजी जा चुकी