इलाहाबाद : यहां तो पढ़ाई के इंतजाम भी ‘सरकारी, प्रदेश के जिन राजकीय कालेजों में प्रवेश पाने की कभी होड़ मचती रही, वहां मेधावी पढ़ना नहीं चाहते।
धर्मेश अवस्थी ’ इलाहाबाद । प्रदेश के जिन राजकीय कालेजों में प्रवेश पाने की कभी होड़ मचती रही, वहां मेधावी पढ़ना नहीं चाहते। शायद इसीलिए अधिकांश कालेजों में अब प्रवेश परीक्षा ही नहीं होती। निजी कालेजों में भले ही स्तरीय शिक्षक नहीं है लेकिन, हाईस्कूल, इंटर का परीक्षा परिणाम हर बार सफलता की नई कहानी लिख रहा है। वहीं, शासकीय कालेजों में ‘सरकारी’ इंतजाम के कारण दिन-ब-दिन स्थिति गिरती जा रही है। 1प्रदेश में हाईस्कूल स्तर के शासकीय स्कूलों की संख्या 1903 है, उनमें से 30 विद्यालय ऐसे हैं जहां का परीक्षाफल 20 प्रतिशत से भी कम है। इन स्कूलों के जिन छात्र-छात्रओं ने पिछले साल परीक्षा दी उनमें से महज 81.87 फीसद परीक्षार्थी सफल हो सके, यानी करीब 18 फीसद अनुत्तीर्ण रहे हैं।वहीं, 654 इंटर कालेजों में से परीक्षाफल सभी का औसत रहा है। यह अलग बात है कि राजकीय कालेज अब सूबे में परचम लहराने वाले मेधावी नहीं निकाल पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वहां अपेक्षित शिक्षक-शिक्षिकाएं नहीं हैप्रधानाचार्यो के दो तिहाई पद वर्षो से खाली चल रहे हैं। प्रधानाध्यापक के आधे पद तो प्रशिक्षित स्नातक पुरुष व महिला संवर्ग के पद भी बड़ी संख्या में रिक्त पड़े हैं। जब पढ़ाने वाले ही नहीं है तब कालेजों में पढ़ाई की उम्मीद किससे की जाए। यह स्थिति इस वर्ष और बिगड़ने के आसार हैं। 1एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती अधर में : राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 9342 पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन, विधानसभा चुनाव के कारण आवेदन लेने के बाद आगे की प्रक्रिया बढ़ी नहीं है। माना जा रहा है कि अब नई सरकार बनने के बाद ही कालेजों की हालत में सुधार होगा। 11600 पदों का प्रमोशन अटका : शासकीय कालेज के शिक्षकों का प्रमोशन लंबे समय से अटका है। प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं अन्य वर्गो को प्रमोट करने के लिए पत्रवली उप्र लोकसेवा आयोग को भेजी जा चुकी है, लेकिन प्रमोशन करने के लिए आयोग समय नहीं निकाल सका है। प्रमोशन कब होंगे यह कोई बताने वाला नहीं है।धर्मेश अवस्थी ’ इलाहाबाद1प्रदेश के जिन राजकीय कालेजों में प्रवेश पाने की कभी होड़ मचती रही, वहां मेधावी पढ़ना नहीं चाहते। शायद इसीलिए अधिकांश कालेजों में अब प्रवेश परीक्षा ही नहीं होती। निजी कालेजों में भले ही स्तरीय शिक्षक नहीं है लेकिन, हाईस्कूल, इंटर का परीक्षा परिणाम हर बार सफलता की नई कहानी लिख रहा है। वहीं, शासकीय कालेजों में ‘सरकारी’ इंतजाम के कारण दिन-ब-दिन स्थिति गिरती जा रही है। 1प्रदेश में हाईस्कूल स्तर के शासकीय स्कूलों की संख्या 1903 है, उनमें से 30 विद्यालय ऐसे हैं जहां का परीक्षाफल 20 प्रतिशत से भी कम है। इन स्कूलों के जिन छात्र-छात्रओं ने पिछले साल परीक्षा दी उनमें से महज 81.87 फीसद परीक्षार्थी सफल हो सके, यानी करीब 18 फीसद अनुत्तीर्ण रहे हैं।वहीं, 654 इंटर कालेजों में से परीक्षाफल सभी का औसत रहा है। यह अलग बात है कि राजकीय कालेज अब सूबे में परचम लहराने वाले मेधावी नहीं निकाल पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वहां अपेक्षित शिक्षक-शिक्षिकाएं नहीं है। प्रधानाचार्यो के दो तिहाई पद वर्षो से खाली चल रहे हैं।
प्रधानाध्यापक के आधे पद तो प्रशिक्षित स्नातक पुरुष व महिला संवर्ग के पद भी बड़ी संख्या में रिक्त पड़े हैं। जब पढ़ाने वाले ही नहीं है तब कालेजों में पढ़ाई की उम्मीद किससे की जाए। यह स्थिति इस वर्ष और बिगड़ने के आसार हैं। 1एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती अधर में : राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों के 9342 पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन, विधानसभा चुनाव के कारण आवेदन लेने के बाद आगे की प्रक्रिया बढ़ी नहीं है। माना जा रहा है कि अब नई सरकार बनने के बाद ही कालेजों की हालत में सुधार होगा। 11600 पदों का प्रमोशन अटका : शासकीय कालेज के शिक्षकों का प्रमोशन लंबे समय से अटका है। प्रधानाचार्य, प्रवक्ता एवं अन्य वर्गो को प्रमोट करने के लिए पत्रवली उप्र लोकसेवा आयोग को भेजी जा चुकी है, लेकिन प्रमोशन करने के लिए आयोग समय नहीं निकाल सका है। प्रमोशन कब होंगे यह कोई बताने वाला नहीं है।