प्रतापगढ़ : भारी अव्यवस्था और अफरातफरी के बीच शनिवार से परिषदीय विद्यालयों की वार्षिक परीक्षा शुरू हुई,.किताब हाथ में, फिर भी नहीं खोज पाए उत्तर
अमर उजाला ब्यूरो प्रतापगढ़ । भारी अव्यवस्था और अफरातफरी के बीच शनिवार से परिषदीय विद्यालयों की वार्षिक परीक्षा शुरू हुई। पहले दिन की परीक्षा में ही शुचिता की धज्जियां उड़ गईं। बच्चों का प्रश्न हल कराने के लिए गुरुजी को ब्लैक बोर्ड का सहारा लेना पड़ा। आलम यह है कि कक्षा छह से आठ तक के बच्चे गुरुजी के बोलने के बाद भी नहीं लिख पा रहे थे। शनिवार से प्रारंभ होने वाली परीक्षा के लिए बच्चे किताब लेकर बैठे थे, फिर भी वह प्रश्न का उत्तर नहीं खोज पा रहे थे। इधर बेसिक शिक्षा विभाग ने नकल रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की थी। बीएसए परीक्षा को लेकर पूरी तरह से लापरवाह बने रहे।
जिले के 2042 प्राइमरी और 733 मिडिल स्कूलों में शनिवार से वार्षिक परीक्षा प्रारंभ हो गई। पूरे शिक्षासत्र में स्कूलों में पठन-पाठन नहीं होने के कारण बच्चे किताब से उत्तर नहीं खोज पा रहे थे। आलम यह था कि कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को बोलकर लिखाने में फेल होने वाले गुरुजी ने ब्लैक बोर्ड पर उत्तर लिखाया। शहर और गांव के स्कूलों में बच्चे खुलेआम नकल करते रहे।
अधिकांश स्कूलों में बच्चे प्रतिदिन की तरह बैग लेकर स्कूल पहुंचे। पेपर और कापी मिलते ही बच्चों ने किताब निकाली और गुरुजी के सामने ही लिखने बैठ गए। हालांकि बच्चों का पेपर हल कराने में गुरुजनों ने मद्द की। पहले तो बोलकर लिखाने का प्रयास किया, मगर जब बच्चे लिखने में असमर्थ दिखे, ब्लैक बोर्ड में लिखकर कापी में उतारने को कहा।
सदर विकास खंड के प्राइमरी स्कूल सगरा, पितई का पुरवा, मिडिल स्कूल रुपापुर, प्राइमरी स्कूल दहिलामऊ, मिडिल स्कूल पितईका पुरवा में बच्चे समूह में किताब से कापी में उत्तर लिखते रहे। प्राइमरी स्कूल में सगरा में तैनात शिक्षिका किताब से बोलकर नकल करा रही थी, जब कैमरामैन को कक्षा के अंदर प्रवेश होते देखा तो उसने किताब को अपनी साड़ी में छिपा लिया। फिलहाल प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में हो रही नकल को रोकने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, सोमवार से परीक्षा की निगरानी होगी।
रुपये नहीं मिले, नहीं हुई परीक्षा
जिले के कुछ हेडमास्टर ऐसे भी थे, जिन्हें कापी के लिए अभी रुपये नहीं मिले हैं, इसलिए उन्होंने परीक्षा नहीं कराई। हालांकि ऐसे विद्यालयों की जांच कराने के लिए बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से कहा।