इलाहाबाद : वह तो बेसहारा बच्चों की जिंदगी में घोल रहीं मिठास
जासं, इलाहाबाद: आज जहां शिक्षा सिर्फ पैसे वालों की होती जा रही है ऐसे में समीना नकवी शिक्षा समाज के दबे कुचले परिवारों के बच्चों को शिक्षा की आसान राह दिखा रही हैं। समीना ने यह मुहिम 10 वर्ष पूर्व शुरू की। बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा उनके मन में बस यूं ही जागृत हो उठी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। नगर की कई स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों से मदद ली और दबे कुचले लोगों की आवाज बन गईं। 1मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली समीना की शादी इलाहाबाद में हुई। समाज सेवा की भावना परिवार से ही मिली। कई स्कूलों में सर्वोच्च पदों पर आसीन रहीं। एक स्कूल में अभी भी प्रिंसिपल हैं। गरीब और बेसहारा लोगों को ज्यादा से ज्यादा खुशियां मिले, इसके लिए उन्होंने बाकायदा ‘दान उत्सव’ का कराया। मलिन बस्तियों में जाकर उन्हें बच्चों के अभिभावकों को पढ़ाई से जुड़ने का तरीका बताया। इससे समाज से तिरस्कृत गरीबों के में ऊर्जा का नया संचार हुआ। समीना गत वर्ष मिशनरीज ऑफ चैरिटी के अंतर्गत अनाथों के साथ वक्त बिताकर उनकी भावना को समझ चुकी हैं। विभिन्न स्तर पर बच्चों के भविष्य को लेकर विभिन्न जिज्ञासाओं को शांत करने में लगी रहती हैं। त्रिवेणी संगम जाकर वहां पर विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों को सुशिक्षित करने से लेकर राजरूपपुर में हाइजीन वर्कशॉप के माध्यम से छात्रों को स्वस्थ्य बनाने के लिए प्रेरित किया। अपने ध्येय और उद्देश्य के बारे में कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाई से जोड़ना हो तो उन्हें रोचक तरीके से पाठ को पढ़ाया जाना चाहिए, तभी उनकी रुचि बढ़ती है। प्रतापगढ़ के सोनपुर क्षेत्र में पाठ्य सामग्री के साथ बच्चों को स्कूली यूनिफार्म वितरण का काम भी वह करवा चुकी हैं। वह निरंतर अपने उद्देश्य में लगी हैं और कहती हैं कि इसी तरह बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत करती रहेंगी।जासं, इलाहाबाद: आज जहां शिक्षा सिर्फ पैसे वालों की होती जा रही है ऐसे में समीना नकवी शिक्षा समाज के दबे कुचले परिवारों के बच्चों को शिक्षा की आसान राह दिखा रही हैं। समीना ने यह मुहिम 10 वर्ष पूर्व शुरू की। बच्चों के लिए कुछ करने की इच्छा उनके मन में बस यूं ही जागृत हो उठी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। नगर की कई स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों से मदद ली और दबे कुचले लोगों की आवाज बन गईं। 1मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली समीना की शादी इलाहाबाद में हुई। समाज सेवा की भावना परिवार से ही मिली। कई स्कूलों में सर्वोच्च पदों पर आसीन रहीं। एक स्कूल में अभी भी प्रिंसिपल हैं। गरीब और बेसहारा लोगों को ज्यादा से ज्यादा खुशियां मिले, इसके लिए उन्होंने बाकायदा ‘दान उत्सव’ का कराया। मलिन बस्तियों में जाकर उन्हें बच्चों के अभिभावकों को पढ़ाई से जुड़ने का तरीका बताया। इससे समाज से तिरस्कृत गरीबों के में ऊर्जा का नया संचार हुआ। समीना गत वर्ष मिशनरीज ऑफ चैरिटी के अंतर्गत अनाथों के साथ वक्त बिताकर उनकी भावना को समझ चुकी हैं। विभिन्न स्तर पर बच्चों के भविष्य को लेकर विभिन्न जिज्ञासाओं को शांत करने में लगी रहती हैं। त्रिवेणी संगम जाकर वहां पर विभिन्न आयुवर्ग के बच्चों को सुशिक्षित करने से लेकर राजरूपपुर में हाइजीन वर्कशॉप के माध्यम से छात्रों को स्वस्थ्य बनाने के लिए प्रेरित किया। अपने ध्येय और उद्देश्य के बारे में कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाई से जोड़ना हो तो उन्हें रोचक तरीके से पाठ को पढ़ाया जाना चाहिए, तभी उनकी रुचि बढ़ती है। प्रतापगढ़ के सोनपुर क्षेत्र में पाठ्य सामग्री के साथ बच्चों को स्कूली यूनिफार्म वितरण का काम भी वह करवा चुकी हैं। वह निरंतर अपने उद्देश्य में लगी हैं और कहती हैं कि इसी तरह बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत करती रहेंगी।विद्यालय में कापी, पेंसिल वितरण करने के बाद बच्चों की खुशी में शामिल समीना नकवी।