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इलाहाबाद : अपना न होगा पढ़ाई का सपना, प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में इस बार 150 दिन भी पढ़ाई होने के आसार नहीं

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इलाहाबाद : अपना न होगा पढ़ाई का सपना, प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में इस बार 150 दिन भी पढ़ाई होने के आसार नहीं

जागरण विशेष धर्मेश अवस्थी’इलाहाबाद । प्रदेश भर के माध्यमिक कालेजों में शैक्षिक सत्र इस बार जुलाई में शुरू होना है। यहां एकाएक सत्र बदलने के बाद पाठ्यक्रम को लेकर भी ऊहापोह बना है। यदि किताबों का भी इंतजाम जून तक पूरा हो जाए तब भी यहां पढ़ाई का सपना साकार होने की बिल्कुल उम्मीद मत कीजिए, क्योंकि राजकीय कालेज हों या फिर अशासकीय विद्यालय वहां प्रधानाचार्य से लेकर एलटी ग्रेड शिक्षकों तक का टोटा है। हालात इतने खराब हैं कि आधे से अधिक पद खाली हैं, जिसे जल्द भरा जाना संभव नहीं है।

हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की यूपी बोर्ड परीक्षाएं चंद दिन पहले खत्म हुई हैं। अब उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना है। ऐसे में शासन ने इस बार शैक्षिक सत्र अप्रैल के बजाए एक जुलाई से शुरू करने का निर्णय किया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगला शैक्षिक सत्र अप्रैल में ही शुरू होगा। विभाग की ओर से बीते दिसंबर में माध्यमिक कालेजों की अवकाश सूची जारी की गई। इसमें सत्र अप्रैल में शुरू करके 236 दिन पढ़ाई और 129 दिन अवकाश का एलान हुआ। अब सत्र जुलाई में शुरू होना है, ऐसे में अप्रैल के 30 और मई के 20 दिन यानी 50 दिन की पढ़ाई सत्र बदलाव की भेंट चढ़ गई है। यही नहीं जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक स्कूलों में प्रवेश व ऑनलाइन पंजीकरण कार्य चलेगा और फिर यूपी बोर्ड परीक्षा के फार्म भरे जाएंगे। नवंबर-दिसंबर में अर्धवार्षिक परीक्षाएं होनी है। इस लिहाज से देखा जाए तो नए सत्र में 150 भी पढ़ाई हो पाना संभव नहीं है। प्रदेश सरकार यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम बदलने को तैयार है। यहां एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाने की तैयारी है। ऐन मौके पर यह प्रयोग भी पढ़ाई में बाधा डालेगा। सत्र और पाठ्यक्रम बदलने का पढ़ाई पर पड़ने वाले असर की अनदेखी कर दें तब भी माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो सकेगी। वजह कालेजों में प्रधानाचार्य से लेकर एलटी ग्रेड शिक्षकों का अभाव है। प्रदेश में आधे से अधिक पद खाली हैं। 2016 की परीक्षा में शिक्षक न होने का असर भी दिखा है। सूबे में हाईस्कूल स्तर के शासकीय विद्यालय 1903 हैं, उनमें से 30 विद्यालय ऐसे रहे हैं, जहां का परीक्षाफल 20 फीसद से भी कम रहा है। वहीं, 4556 अशासकीय विद्यालयों में सिर्फ दो स्कूलों का ही परीक्षाफल 20 फीसद से कम रहा है। हाईस्कूल के शासकीय विद्यालयों का परीक्षाफल 81.87, अशासकीय का 84.39 रहा है। वहीं इंटरमीडिएट स्तर के शासकीय 654 स्कूल व अशासकीय 4025 स्कूलों का परीक्षा परिणाम हाईस्कूल के मुकाबले भले ही ठीक रहा है, लेकिन शिक्षकों का संकट बरकरार है।

भर्तियां अधर में लटकी

प्रदेश के शासकीय कालेजों में 9342 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती का प्रकरण अधर में लटक गया है। ऑनलाइन आवेदन लिए जा चुके हैं, लेकिन आगे की प्रक्रिया ठप है। इसी तरह से शासकीय कालेजों में प्रमोशन भी अफसरों की मनमानी से प्रभावित हैं। उप्र लोकसेवा आयोग में भी 1600 से अधिक प्रमोशन अटके हैं। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से अशासकीय स्कूलों के लिए तमाम चयन हुए हैं, लेकिन 2013 के छह विषयों के साथ ही 2011 व 2016 की भर्ती का मामला जहां का तहां रोक दिया गया है।

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