इलाहाबाद : जांच हुई तो कई वित्त विहीन विद्यालयों की खतरे में पड़ जाएगी मान्यता
विजय सक्सेना, अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद । यूपी बोर्ड की परीक्षाएं अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है लेकिन पूरे प्रदेश में परीक्षा छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी लाखों में पहुंच चुकी है। हाईस्कूल की परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं और इंटर की परीक्षाएं अभी 21 अप्रैल तक चलेंगी। इस बीच परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। वैसे अलीगढ़, हरदोई, मथुरा, कौशाम्बी, इलाहाबाद, गाजीपुर आदि जिलों में बड़ी संख्या ऐसे विद्यालयों भी है, जो बकायदा नकल कराने का ठेका लेते हैं और वह नकल मंडी के रूप में बदनाम हैं। यूपी बोर्ड के अफसर भी इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के परीक्षा छोड़ने का कारण नहीं समझ पा रहे हैं। बोर्ड ने इसकी रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को भेज दी है। माना जा रहा है कि सरकार इसकी जांच करा सकती है। ऐसा हुआ तो कई वित्त विहीन विद्यालयों की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि यह विद्यालय अपने यहां विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए गलत तरीके से पंजीकरण कर लेते हैं, जो परीक्षा में शामिल नहीं होते।
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए कुल 60 लाख 61 हजार 34 विद्यार्थी पंजीकृत हुए। इसमें हाईस्कूल में संस्थागत एवं व्यक्तिगत परीक्षार्थियों की संख्या 34 लाख चार हजार 715 तथा इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों की संख्या 26 लाख 56 हजार 316 थी। इसमें से प्रदेश भर में तीन लाख 20 हजार 176 विद्यार्थी हाईस्कूल की परीक्षा छोड़ चुके हैं। इसी तरह पिछले सप्ताह तक इंटरमीडिएट में दो लाख चार हजार 845 विद्यार्थी परीक्षा छोड़ चुके हैं। इंटर की परीक्षाएं 21 अप्रैल को खत्म हो रही है सो माना जा रहा है कि परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या में अभी और इजाफा हो सकता है।
सबसे ज्यादा 30314 विद्यार्थियों ने गाजीपुर में हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा छोड़ दी। इसी तरह इलाहाबाद में 25163, अलीगढ़ में 24497, हरदोई में 24149, मथुरा में 12689 विद्यार्थी अब तक परीक्षा छोड़ चुके हैं। यह स्थिति तकरीबन हर जिले में है, जहां पांच से आठ हजार तक विद्यार्थी परीक्षा छोड़ चुके हैं। उधर, शिक्षा निदेशालय से लेकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तक के अफसर इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के परीक्षा छोड़ने जाने से चिंतित हैं। यूपी बोर्ड की सचिव शैल यादव ने इसकी रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय को भेज दिया है। माना जा रहा है कि सरकार इतनी बड़ी संख्या में परीक्षा छोड़ो जाने के मामले में जांच भी करा सकती है क्योंकि ज्यादातर परीक्षा छोड़ने वाले विद्यार्थी वित्त विहीन विद्यालयों के ही हैं। ये विद्यालय फर्जीवाड़ा कर अपने यहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक दिखाने के लिए उनका फर्जी पंजीकरण करते हैं। ऐसा करने के पीछे सांसद, विधायक निधि से फंड, सरकार से फंड लेना भी कारण होता है।