लखनऊ : बदले निजाम में क्या बदलेगा यूपी बोर्ड का रिजल्ट? क्या इस साल यूपी बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट पिछले वर्षों के प्रदर्शन के अनुरूप होगा?
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : क्या इस साल यूपी बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट पिछले वर्षों के प्रदर्शन के अनुरूप होगा? इस सवाल का सटीक उत्तर तो बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन, माध्यमिक शिक्षा विभाग का आकलन इशारा कर रहा है कि देश की सबसे बड़ी बोर्ड परीक्षा के नतीजे इस साल उतने अच्छे नहीं रहेंगे जैसे कि हाल के तीन-चार वर्षों में रहे हैं। 1इस आकलन की बुनियाद वित्त विभाग को भेजा गया वह एस्टीमेट है जिसमें भाजपा के संकल्प पत्र में की गई घोषणाओं को अमली जामा पहनाने पर होने वाले खर्च का आकलन किया गया है। एस्टीमेट में बताया गया है कि संकल्प पत्र के अनुसार इस साल इंटरमीडिएट परीक्षा पास कर शैक्षिक अगले सत्र में कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले कुल 12 लाख विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की जरूरत होगी। इस साल यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए कुल 26,56,319 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से 2,04,845 छात्र-छात्रएं अब तक परीक्षा छोड़ चुके हैं। यानी 24,51,474 परीक्षार्थियों ने इम्तिहान दिया है। पिछले साल यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में 88.99 फीसद परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। यह मानते हुए कि इस साल भी यूपी बोर्ड पिछले वर्ष के प्रदर्शन को दोहराएगा तो वर्ष 2017 की इंटरमीडिएट परीक्षा में 21.81 लाख परीक्षार्थी उत्तीर्ण होंगे। यदि यह भी मान लिया जाए कि इनमें से 25 फीसद छात्र प्रदेश के बाहर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने चले जाएंगे या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कहीं दाखिला नहीं लेंगे, तो भी यह संख्या 16.36 लाख होती है। 1दरअसल विभाग के अधिकारी इस साल यूपी बोर्ड के रिजल्ट में संभावित गिरावट को प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान गोंडा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकल के धंधे पर प्रहार किया था। चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद यूपी बोर्ड परीक्षा शुरू हुई और प्रदेश में भाजपा सरकार सत्तारूढ़ हुई। प्रदेश में निजाम बदलते ही हवा का रख भांपते हुए यूपी बोर्ड परीक्षा के संचालन में कड़ाई हुई जिससे कि नतीजे प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा है।राज्य ब्यूरो, लखनऊ : क्या इस साल यूपी बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट पिछले वर्षों के प्रदर्शन के अनुरूप होगा? इस सवाल का सटीक उत्तर तो बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन, माध्यमिक शिक्षा विभाग का आकलन इशारा कर रहा है कि देश की सबसे बड़ी बोर्ड परीक्षा के नतीजे इस साल उतने अच्छे नहीं रहेंगे जैसे कि हाल के तीन-चार वर्षों में रहे हैं। 1इस आकलन की बुनियाद वित्त विभाग को भेजा गया वह एस्टीमेट है जिसमें भाजपा के संकल्प पत्र में की गई घोषणाओं को अमली जामा पहनाने पर होने वाले खर्च का आकलन किया गया है। एस्टीमेट में बताया गया है कि संकल्प पत्र के अनुसार इस साल इंटरमीडिएट परीक्षा पास कर शैक्षिक अगले सत्र में कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले कुल 12 लाख विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की जरूरत होगी। इस साल यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए कुल 26,56,319 परीक्षार्थियों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से 2,04,845 छात्र-छात्रएं अब तक परीक्षा छोड़ चुके हैं। यानी 24,51,474 परीक्षार्थियों ने इम्तिहान दिया है। पिछले साल यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में 88.99 फीसद परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। यह मानते हुए कि इस साल भी यूपी बोर्ड पिछले वर्ष के प्रदर्शन को दोहराएगा तो वर्ष 2017 की इंटरमीडिएट परीक्षा में 21.81 लाख परीक्षार्थी उत्तीर्ण होंगे। यदि यह भी मान लिया जाए कि इनमें से 25 फीसद छात्र प्रदेश के बाहर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने चले जाएंगे या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कहीं दाखिला नहीं लेंगे, तो भी यह संख्या 16.36 लाख होती है। 1दरअसल विभाग के अधिकारी इस साल यूपी बोर्ड के रिजल्ट में संभावित गिरावट को प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान गोंडा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकल के धंधे पर प्रहार किया था। चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद यूपी बोर्ड परीक्षा शुरू हुई और प्रदेश में भाजपा सरकार सत्तारूढ़ हुई। प्रदेश में निजाम बदलते ही हवा का रख भांपते हुए यूपी बोर्ड परीक्षा के संचालन में कड़ाई हुई जिससे कि नतीजे प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा है।