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इलाहाबाद : निजी स्कूलों को एक हफ्ते का अल्टीमेटम, फीस ढांचा, खर्च का ब्यौरा, एडमिशन प्रक्रिया और बोर्ड के नियम कानून साक्ष्य समेत तलब

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इलाहाबाद : निजी स्कूलों को एक हफ्ते का अल्टीमेटम, फीस ढांचा, खर्च का ब्यौरा, एडमिशन प्रक्रिया और बोर्ड के नियम कानून साक्ष्य समेत तलब

कमेटी को यह सूचना देंगे स्कूल1’ तीन साल में कितनी फीस वृद्धि की गई?1’ हर साल लिए जाने वाले विकास शुल्क से क्या विकास कराया गया?1’ विकास न कराने की दशा में पुराने छात्रों से शुल्क किस मानक पर लिया गया?1’ संबंधित बोर्ड ने कितनी किताबें प्रेसक्राइब की हैं और कितनी पढ़ाई जाती हैं?1’ एक्सट्रा एक्टीविटीज के नाम पर ली जाने वाली फीस क्या जबरन लागू की जाती है?1’ क्या बच्चों के टिफिन का मेन्यू तय करने का अधिकार भी बोर्ड ने दिया है?1’ बच्चों के परिवहन के लिए स्कूल वाहन नियमानुसार चल रहे हैं?1’ एडमिशन में कितने आवेदन आए, जो रिजेक्ट या स्वीकृत किए गए। उनका आधार क्या है?1’ स्कूलों में फीस के अनुसार सुविधाएं दिए जाने व शिक्षकों के वेतन का ब्यौरा?1स्कूलों में तैनात शिक्षकों की योग्यता और मानक।

खुद भी स्वीकार करते हैं मनमानी

बैठक में शामिल टैगोर पब्लिक स्कूल के प्रतिनिधि ने कहा कि सभी स्कूलों में मनमानी नहीं हो रही है। उनका स्कूल इसका उदाहरण है। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि कई स्कूलों में माहौल बेहद खराब है और मनमानी हो रही है।
फीस ढांचा, खर्च का ब्यौरा, एडमिशन प्रक्रिया और बोर्ड के नियम कानून साक्ष्य समेत तलब

जासं, इलाहाबाद : निजी स्कूलों ने जिस तरह फीस में मनमाना इजाफा कर दिया है। फीस के अलावा कई मदों से अभिभावकों से वसूली हो रही है। उसके खिलाफ अब प्रशासन ने सख्त रवैया अपना लिया है। जिलाधिकारी की ओर से गठित कमेटी ने मंगलवार को स्कूलों के प्रतिनिधियों और अभिभावकों के साथ बैठक की। जिसमें साफ तौर पर कह दिया कि प्रशासन स्कूलों की निरंकुशता बर्दाश्त नहीं करेगा। नियम-कानून का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्ती होगी। वर्ना यही हालात रहे तो कानून व्यवस्था भी खतरे में पड़ सकती है।

जिलाधिकारी संजय कुमार और शिक्षा विभाग के पास कई अभिभावकों की शिकायतें पहुंची थी। जिसमें स्कूलों की मनमानी के कई साक्ष्य भी दिए गए थे। यह देख जिलाधिकारी ने एडीएम वित्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया था। मंगलवार की दोपहर इस कमेटी की पहली बैठक एडीएम वित्त दयाशंकर पांडेय की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित संगम सभागार में हुई। जिसमें शहर के प्रमुख स्कूलों के प्रतिनिधि और अभिभावकों के संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। अभिभावकों के प्रतिनिधि एडवोकेट प्रदीप श्रीवास्तव आदि ने स्कूलों की मनमानी के अनेक उदाहरण पेश करते हुए मांग की कि फीस वृद्धि से लेकर हर तरह की वसूली के लिए कोई मानक तय कराया जाए। ऐसा न होने पर अभिभावकों में बेहद नाराजगी है।

जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव ने कहा कि अभिभावक वाकई पीड़ित और त्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि सीबीएसई या आइसीएसई बोर्ड के जो भी स्कूल हैं, वह जो भी फीस आदि अन्य रकम वसूल कर रहे हैं उसके संबंध में एक सप्ताह के भीतर अपने बोर्ड के नियम कायदे प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल अपने बोर्ड के नियमों का अतिक्रमण करते हैं तो कार्रवाई होगी। साथ ही प्रदेश सरकार से दी गई एनओसी की शर्तो का अनुपालन भी कराया जाएगा। 1बैठक में एडीएम वित्त ने कहा कि स्कूल नियमों के अनुरूप चलाए जाएं। मनमानी से जनता में आक्रोश पैदा हो रहा है, जिस तरह से धरना प्रदर्शन और विरोध हो रहे हैं वह कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है। सरकार भी इसे लेकर चिंतित है। इसलिए निरंकुशता की नौबत नहीं आने दी जाएगी।

डीआइओएस को भी नहीं मिली इंट्री : निजी स्कूलों की मनमानी केवल अभिभावकों तक नहीं है। इससे शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी परेशान हैं। शहर के एक नामी स्कूल का जिक्र करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा कि वहां के गार्ड ने उन्हें प्रवेश ही नहीं करने दिया। जिन स्कूलों में शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रवेश नहीं कर सकते, वहां अभिभावकों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा?

प्रेसीडेंट से मिल सकते हैं प्रिंसिपल से नहीं: स्कूलों की मनमानी से क्षुब्ध एडीएम वित्त दयाशंकर पांडेय ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों तक को प्रिंसिपल से मिलने के लिए कई दिन का समय लग जाता है। मोबाइल पर बात नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में जनता की बात स्कूलों तक कैसे पहुंचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि लगता है देश में राष्ट्रपति से मिलना आसान है, इलाहाबाद में स्कूलों के प्रिसिंपल से मिलना मुश्किल। उन्होंने स्कूलों को अपना व्यवहार बदलने की भी नसीहत दी।

अभाविप ने नहीं लिया बैठक में हिस्सा : स्कूलों की मनमानी व अवैध स्कूलों के संचालन के खिलाफ क्रमिक अनशन कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस बैठक में हिस्सा लेने से इन्कार कर दिया। पदाधिकारियों ने कहा कि वे बैठकें नहीं चाहते, बल्कि कार्रवाई और सुधार चाहते हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो क्रमिक अनशन को आमरण अनशन में बदल दिया जाएगा और पूरे प्रदेश में आंदोलन होगा।

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