इलाहाबाद : सरकारी परिषदीय स्कूलों में दाखिले को लुभा रहे पम्फलेट-पोस्टर
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददातासरकारी स्कूल के शिक्षक भी कॉन्वेंट स्कूलों की तरह बच्चों को लुभाने के लिए पम्फलेट और पोस्टर का सराहा ले रहे हैं। एक अप्रैल को नया सत्र शुरू होने के साथ ही कई शिक्षक स्कूल चलो अभियान के तहत प्रचार सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं।प्राथमिक विद्यालय साउथ मलाका की शिक्षिकाओं ने हाथ से कई पोस्टर बनाकर आसपास के मोहल्ले में चस्पा किए हैं तो वहीं दूसरी ओर प्राथमिक विद्यालय करैली नयापुरा की शिक्षिकाओं ने पम्फलेट छपवाकर मोहल्ले में लगवाया है। पोस्टर-पम्फलेट पर सरकारी स्कूल में मिलने वाली सुविधाओं जैसे नि:शुल्क शिक्षा, पुस्तकें, मुफ्त यूनिफार्म, मिड-डे-मील, फल व दूध, साफ सुरक्षित वातावरण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षित अध्यापक का भी जिक्र किया गया है। खास बात यह कि शिक्षकों ने अपनी जेब से रुपये खर्च करके पम्फलेट और पोस्टर बनवाए हैं। पिछले साल स्कूल चलो अभियान के लिए जिला स्तर पर 25 हजार, प्रत्येक विकास खंड को 10 हजार, न्याय पंचायत 2,500 और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय समेत सभी स्कूलों को 500-500 रुपए अलग से दिए गए थे। इस बजट का उपयोग प्रचार-प्रसार, स्कूलों में वातावरण बनाने, सजाने-संवारने, पम्फलेट, पोस्टर व बैनर आदि बनवाने के लिए किया जाना था। लेकिन इस साल प्रचार-प्रसार के नाम पर रुपये नहीं मिले हैं। फिर भी कुछ शिक्षक व्यक्तिगत प्रयासों से सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने में जुटे हैं।
साउथ मलाका प्राथमिक विद्यालय के गेट पर प्रवेश के लिए पोस्टर लगाते अध्यापक।
शिक्षिकाओं की पहल वाकई सराहनीय है। सरकार की भी मंशा है कि अधिक से अधिक बच्चों को परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
रमेश तिवारी, मंडलीय सहायक
बेसिक शिक्षा निदेशक