मॉडल विद्यालय नहीं हो सके हैंडओवर
जागरण संवाददाता, उरई : शिक्षा व्यवस्था को सु²ढ़ बनाने के लिए भले ही सरकारी स्तर पर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन शिथिलता के चलते धरातल पर क्रियान्वयन नजर नहीं आता है। जनपद में तीन माडल विद्यालय बनवाए गए हैं। जिनका संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है। नए शिक्षा सत्र में संचालित होने की उम्मीद भी कम दिखाई दे रही है। हालत यह है कि कार्यदाई संस्था ने विद्यालय भवनों को हस्तांतरित तक नहीं किया है।
जनपद में विद्यालयों की कमी को पूरा करने और शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2011-12 में चुर्खी, पिपरायां, खरूसा में माडल विद्यालयों का निर्माण शुरू शुरू कराया गया था। इसमें एक विद्यालय भवन की लागत 3 करोड़ 2 लाख रुपये थी। निर्माण का काम कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल को दिया गया था। कुछ समय तक तो कार्य बहुत ही ढीला रहा। बीच में कुछ महीने तक काम बंद भी कर दिया गया। जिसके बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कार्यदाई संस्था पर दबाव बनाया तो काम शुरू हुआ लेकिन कछुआ गति से विद्यालय भवनों के निर्माण में पांच साल लग गए। हालांकि अब तीनों विद्यालय लगभग बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन एक विद्यालय में अभी कुछ काम बाकी है। ऐसे में इस सत्र में भी विद्यालय संचालित होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है। शिथिलता के चलते छात्र छात्राओं को शिक्षापरक योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लापरवाही का आलम ये है कि अब तक इन विद्यालय भवनों को हैंडओवर तक नहीं किया जा सका है। जिला विद्यालय निरीक्षक राजेंद्र बाबू का कहना है कि शासन के निर्देश आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। नए शिक्षा सत्र से विद्यालय संचालित करने के लिए पूरे प्रयास किए गए हैं।