इलाहाबाद : जांच में बीईओ बेदाग, उसी जिले में बहाल, किसी के कुल का दीपक बुझा तो किसी के जिगर का टुकड़ा असमय मौत के मुंह में समा गया।
धर्मेश अवस्थी’इलाहाबाद । किसी के कुल का दीपक बुझा तो किसी के जिगर का टुकड़ा असमय मौत के मुंह में समा गया। कई ऐसे भी मासूम थे जिनकी जान बच गई, लेकिन हादसे की टीस उन्हें जीवन भर सालती रहेगी, क्योंकि वह दिव्यांग हो गए हैं। बात हो रही है एटा जिले में 19 जनवरी की सुबह घने कोहरे में स्कूल बस व ट्रक की भिड़ंत के बाद खौफनाक मंजर की। यह हादसा इसलिए हुआ क्योंकि ठंड के कारण विद्यालय बंद करने का आदेश स्कूल संचालक ने नहीं माना। जो मनमानी जनवरी में स्कूल संचालक ने की थी, कुछ उसी राह पर शिक्षा विभाग के अफसर भी बढ़ चले हैं। एटा के विकासखंड अलीगंज में तैनात रहे खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) श्रीकांत पटेल को घटना के चार दिन बाद निलंबित कर दिया गया था। उन पर आरोप था कि वह अपने विकासखंड में विद्यालयों का समुचित निरीक्षण नहीं करते और उच्चाधिकारियों के आदेशों का अनुपालन करने में कोताही बरतते हैं। जेएस विद्या निकेतन (जिसके बच्चों से भरी बस हादसे का शिकार हुई) की घटना में बीईओ को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाते हुए निलंबन के साथ ही अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने का निर्णय लिया गया था। इस मामले की जांच मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक अलीगढ़ को सौंपी गई थी। चर्चित प्रकरण पर अफसरों ने तेजी दिखाते हुए 30 जनवरी को ही बीईओ को आरोपपत्र थमाया और छह मार्च को जांच रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय भेज दी गई।
एक माह तक यह जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही। छह अप्रैल को जांच रिपोर्ट का खुलासा हुआ। इसमें कहा गया है कि बीईओ श्रीकांत पर आरोप सही नहीं पाए गए। यह जरूर है कि विकासखंड में शिथिल निरीक्षण व पर्यवेक्षण का दोषी मानते हुए उन्हें चेतावनी दी गई कि भविष्य में दोबारा ऐसा न हो। बीईओ श्रीकांत को सभी अनुशासनिक कार्यवाही से मुक्त करते हुए सवेतन बहाल कर दिया गया है और उसकी निलंबन अवधि को भी अर्हकारी सेवा माने जाने का आदेश दिया है। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक विनय कुमार पांडेय ने बीईओ को अलीगंज विकासखंड की बजाय बीएसए कार्यालय एटा मुख्यालय पर नियुक्त किये जाने का आदेश दिया है।
ऊपर से आदेश, निदेशालय में अमल : शिक्षा निदेशालय में बीईओ के तबादले से लेकर निलंबन और बहाली तक में यहां के अफसरों का सिर्फ हस्ताक्षर होता है। सारे आदेश ‘ऊपर’ से होते हैं उन पर अमल करना मातहतों की मजबूरी हैं। विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों ने मनमाने तरीके से शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा का कार्यभार ले रखा है और तबादलों के साथ ही बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश है कि वह सीधे ‘उन्हीं’ से संपर्क रखें। सरकार बदलने के बाद भी बड़े साहब का रवैया नहीं बदला है।