जर्जर विद्यालयों के नीचे खतरे में बचपन
बदायूं : मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करने के कुछ ही दिनों बाद शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए बैठक ली गई है। जिसमें शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के निर्देश देते हुए जल्द से जल्द सुधार करने को कहा गया है। खराब स्थिति में पहुंच चुके परिषदीय विद्यालयों को भी गिना गया है। जिससे जर्जर विद्यालयों के नीचे बैठी नन्हीं जान के सुलगते अरमान फिर सातवें आसमान पर हैं। अभिभावकों को अब विद्यालयों के जर्जर होने की ¨चता नहीं सताएगी। मुख्यमंत्री के सुधार के निर्देश से पहले ही नए विद्यालयों की मांग शासन से की गई है।
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग के निर्देश पर सभी तकरीबन एक हजार परिषदीय विद्यालयों में विद्युतीकरण कराया गया था। शासन से मिली ग्रांट से बिजली के बिल का कुछ हिस्सा जमा कराया गया है। लगभग सभी विद्यालयों में रोशनी की व्यवस्था हो चुकी है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी जर्जर विद्यालयों की है। किसी विद्यालय में छत नहीं है तो किसी की दीवारें दरक रही हैं। जान पड़ता है कि हाथ लगाने मात्र से ही गिर जाएंगी। किराये के भवन में संचालित ज्यादातर विद्यालयों की यही स्थिति है। विभाग से कई बार मांग की गई, लेकिन भवन स्वामी के कोर्ट में जाने की वजह से न तो मरम्मत हो सकी और न ही कहीं और शिफ्ट किए गए। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से हर बार की तरह इस बात भी मांग की गई है। देखना होगा नई सरकार में बेसिक शिक्षा को कितना बजट मुहैया हो पाता है। एसएसए की ओर से 6 नए विद्यालय, 91 विद्यालयों का दोबारा निर्माण, 130 विद्यालयों की मरम्मत, 69 अतिरिक्त कक्ष का प्रस्ताव भेजा गया है।