इलाहाबाद : जनसूचना का जवाब नहीं दे रहा आयोग, आयोग अध्यक्ष फिर तलब!
आयोग अध्यक्ष फिर तलब!
उप्र लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष डा. अनिरुद्ध यादव इन दिनों सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात को लेकर खूब चर्चा रही। कहा जा रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतियोगी संस्थाओं की जांच कराने का वादा था सरकार उसी दिशा में तेजी से बढ़ रही है। हालांकि आयोग अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मिलने के बाद इसे शिष्टाचार भेंट बताया था। सूत्रों का दावा है कि शुक्रवार सुबह फिर आयोग अध्यक्ष मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे हैं। इससे अटकलों का दौर तेज है लेकिन, नतीजे की जानकारी नहीं है।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग इन दिनों प्रतियोगियों के निशाने पर है। भर्तियों में धांधली और पारदर्शिता पर पर्दा डालने के बाद आयोग पर जनसूचना का जवाब न देने का आरोप लगा है। आयोग की परीक्षाओं में तीन सदस्यों के पुत्र-पुत्री शामिल हुए हैं, फिर भी बताने के बजाए आयोग गोलमोल जवाब दे रहा है। अब इस मामले को भी हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी है।
आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की अवहेलना करते हुए साक्ष्यों को छिपाने में जुटा है। शायद इसीलिए आरटीआइ के तहत मांगे गए जवाब नहीं दिए जा रहे हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने आरटीआइ के जरिये जानना चाहा कि लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के पुत्र-पुत्री उनके कार्यकाल में आयोग की परीक्षा दे सकते हैं या नहीं। दूसरा अध्यक्ष व सदस्य के कितने पुत्र-पुत्री परीक्षा में सम्मिलित हुए हैं। यदि शामिल हुए तो उनका ब्योरा दें।
आयोग से उस नियमावली का हवाला देने की भी मांग की गई है जिसमें आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के पुत्र-पुत्री को परीक्षा देने या न देने का उल्लेख है। आयोग ने दो माह बाद भी इसका जवाब नहीं दिया। प्रतियोगी ने जब अपील दाखिल की तो एक लाइन का जवाब ‘वांछित सूचना उपलब्ध न होने से अदेय है’ देकर पल्ला झाड़ लिया है। मीडिया प्रभारी का दावा है कि आयोग के तीन सदस्यों के पुत्र-पुत्री विभिन्न परीक्षाओं में शामिल हुए हैं, जबकि लोकसेवा आयोग की नियमावली में स्पष्ट उल्लेख है कि आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के कार्यकाल में उनके पुत्र-पुत्री उस आयोग की परीक्षा नहीं दे सकते। इसीलिए प्रतियोगी ने नियमावली मांगी, लेकिन आयोग ने कोई सूचना नहीं दी।
प्रतियोगी ने बताया कि जब आयोग की सीबीआइ जांच के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, उस समय सभी परीक्षा व परीक्षाओं के परिणाम का ब्योरा न्यायालय में दाखिल किया गया था, ऐसे में वर्तमान अध्यक्ष व सदस्यों के पुत्र-पुत्रियों के परीक्षा देने का ब्योरा कैसे उपलब्ध नहीं है। पांडेय ने कहा है कि आयोग अब भी सही रास्ते पर बढ़ने को तैयार नहीं है। ऐसे में आरटीआइ के प्रकरण को हाईकोर्ट के समक्ष ले जाने की तैयारी है।