लखनऊ : खत्म होगी स्कूल की मान्यता, कैम्पस में कॉपी-किताबें बेचते पकड़ा गया था स्कूल प्रशासन, प्राइवेट स्कूलों ने निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें की अनिवार्य
ज्यादातर स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबें लागू कर दीं, लेकिन उसके साथ रेफरेंस बुक के नाम पर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें भी खरीदने के लिए कहा गया ।
डेली न्यूज़ नेटवर्कलखनऊ। कैम्पस के अंदर अवैध तरीके से कॉपी किताबें बेचना एक्जॉन मांटेसरी हाईस्कूल को महंगा पड़ गया। दो दिन पहले अभिभावक की शिकायत पर हुई छापेमारी में स्कूल के अंदर कॉपी-किताबों की बिक्री करते पाए जाने पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने शनिवार को स्कूल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाजार खाला थानाध्यक्ष को पत्र भेज दिया। साथ ही मान्यता प्रत्याहरण के लिए भी माध्यमिक शिक्षा परिषद से संस्तुति कर दी।
तुलसी दास मार्ग स्थित एक्जॉन मांटेसरी हाईस्कूल में काफी समय से कॉपी-किताबें बेचने का खेल चल रहा था। 30 मार्च को सुबह एक अभिभावक ने डीआईओएस से लिखित शिकायत की थी कि स्कूल में बच्चों को यहीं से किताब-कॉपी सहित पूरा कोर्स लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। साथ ही कॉपी-किताबें बाजार मूल्य से भी काफी महंगी बेची जा रही हैं। इस शिकायत पर सह जिला विद्यालय निरीक्षक विमलेश कुमार ने दोपहर करीब एक बजे स्कूल में छापा मारा जहां कॉपी-किताबों की बिक्री होती मिली। शनिवार को उन्होंने अपनी रिपोर्ट जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश कुमार त्रिपाठी को सौंप दी। जिसमें उन्होंने विद्यालय प्रबंधक के खिलाफ विधिक एवं प्रशासनिक कार्रवाई की संस्तुति की।
अभिभावकों को दिया गया था किताबों का पंफ्लेटसह जिला विद्यालय निरीक्षक के मुताबिक जांच के दौरान अभिभावकों ने बताया कि स्कूल से एक पंफ्लेट दिया गया था, जिस पर किताबों के नाम, प्रकाशक का नाम तथा मूल्य अंकित थे। विद्यालय ने अभिभावकों से यहीं से कॉपी किताबें खरीदने के लिए निर्देश दिए थे। निरीक्षण के दौरान कॉपी किताबों की बिक्री का एक रजिस्टर भी मिला व अभिभावकों द्वारा बिक्री की रसीदें भी दी गईं। इससे स्पष्ट है कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था की ओर से व्यवसायिक हितलाभ के लिए कॉपी-किताबों का व्यवसाय किया जा रहा है। जो कि मान्यता के नियमों का उल्लंघन है।
सह जिला विद्यालय निरीक्षक की रिपोर्ट पर डीआईओएस ने थानाध्यक्ष बाजार खाला को भेजा पत्र
एक्जान मांटेसरी हाईस्कूल में अवैध रूप से कॉपी किताबें बेचने की रिपोर्ट मिल गई है। कैम्पस को वाणिज्यिक उपयोग में लाना नियम विरुद्ध है। इसलिए विद्यालय के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थानाध्यक्ष बाजार खाला को पत्र भेज दिया गया है।
- उमेश कुमार त्रिपाठी, डीआईओएस लखनऊ
लखनऊ। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की ओर से स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें प्रयोग करने का फरमान अब अभिभावकों के लिए मुसीबत बन गया है। ज्यादातर स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबें लागू तो कर दीं, लेकिन उसके साथ रेफरेंस बुक के नाम पर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को खरीदना भी अनिवार्य कर दिया। अब अभिभावक इससे परेशान हो रहे हैं। उन्हें एनसीईआरटी की सस्ती किताबों के साथ महंगी रेफरेंस बुक भी खरीदनी पड़ रही है।बीते फरवरी में सीबीएसई ने आदेश जारी कर सभी स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें प्रयोग करने का फरमान जारी किया था। बोर्ड ने स्कूलों को निर्देश दिए थे कि वे छात्रसंख्या के आधार पर एनसीईआरटी से किताबों की मांग भेजें जिससे किताबें मुहैया कराई जा सकें। बोर्ड ने सीबीएसई स्कूलों में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों पर अघोषित रोक भी लगा दी थी। जिससे अभिभावकों को काफी राहत मिली थी। लेकिन अब स्कूलों की मनमानी से अभिभावक टेंशन में आ गए हैं। थमाई किताबों की सूचीराजधानी के 90 प्रतिशत सीबीएसई स्कूलों में कक्षा 9 के बाद एनसीईआरटी के साथ रेफरेंस बुक के नाम पर निजी प्रकाशकों की किताबें बिकवाने का खेल चल रहा है। रेड रोज सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अभिभावकों की मानें तो स्कूल ही किताबें बिकवा रहा है। यहां भी एनसीईआरटी के साथ निजी प्रकाशकों की किताबें लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जबकि डीपीएस एल्डिको शाखा ने अभिभावकों को एक सर्कुलर जारी किया है। जिसमें किताबें उनकी निर्धारित विक्रेता से लानी थी। विक्रेता ने कक्षा सात की निजी प्रकाशक की किताबें और स्टेशनरी तो दे दी, लेकिन एनसीईआरटी की किताब बाहर से खरीदने के लिए कह दिया गया।एनसीईआरटी की किताबें काफी सस्तीएनसीईआरटी की किताबों का मूल्य निजी प्रकाशकों की किताबों की तुलना में काफी कम है। इनमें करीब दो से तीन गुना तक का अंदर है। एनसीईआरटी में कक्षा एक में सिर्फ पांच किताबें चलती हैं। जबकि, निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिकेशन की छह से सात किताबें हैं।
किताबों के मूल्यों में अंतर
कक्षानिजी प्रकाशकएनसीईआरटीएक व दो1500 से दो हजार रुपए तककरीब 230 रुपए की सबतीन से पांच1800 से 3000 रुपए तक करीब 300 रुपए की सबछह से आठ 2000 से 3500 हजार रुपए तक900 रुपए तक
एनसीईआरटी की किताबें सस्ती हैं उसमें कमीशन नहीं मिलेगा। इसलिए निजी स्कूल अपने मुनाफे की वजह से निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए दबाव डालते हैं। ऐसे में बोर्ड को स्कूलों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेना चाहिए।
-पीके श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ