बेसिक स्कूलों के शौचालय, हैंडपंप होंगे दुरुस्त
जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली): परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ ही शौचालय व स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एक पखवारे के अंदर शौचालय व खराब पड़े हैंडपंपों को ठीक कराया जाएगा। इस कार्य को पूरा करने के लिए शहरों में नगर निकाय तथा ग्रामीण इलाकों में ग्राम्य विकास विभाग व पंचायतीराज विभाग इसमें सहयोगी बनेंगे।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सुविधाओं को भी बेहतर बनाया जा रहा है। कांवेंट व नर्सरी स्कूलों की तर्ज पर व्यवस्था दी जाएगी। परीषदीय स्कूलों की व्यवस्था चाकचौबंद नहीं होने अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला कराने से मुंह फेर लेते थे। शासन ने माना है कि सुविधा मिलने परीषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या में इजाफा होगा। वैसे तो प्रत्येक विद्यालयों में बालक/बालिका के लिए शौचायल की व्यवस्था अलग है। फिर भी र¨नग वाटर (नलयुक्त बहता पानी) की व्यवस्था अधिकांश विद्यालयों उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हैंडपंप से पानी लेने बाद ही बच्चे शौचालय का उपयोग करते हैं। फिलहाल कांवेंट व नर्सरी स्कूलों की तरह बेसिक विद्यालयों भी शिक्षण सत्र शुरू हो चुका है। इसके साथ ही नौनिहालों का दाखिला भी शुरू हो रहा है। प्रचंड गर्मी के चलते हैंडपंपों के खराब होने का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं जलस्तर तेजी से नीचे खिसकने के कारण विद्यालयों के अधिकांश हैंडपंप पानी देना बंद कर दिए हैं। इसे देखते हुए सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि पेयजल सुविधा के लिए स्कूलों में लगे हैंडपंप यदि खराब हैं, तो उन्हें समय से ठीक करा लिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम्य विकास विभाग तथा नगर क्षेत्र के विद्यालयों के लिए नगर विकास विभाग के सहयोग से स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। इसी तरह परिषदीय स्कूलों में बने शौचालयों को भी क्रियाशील रखा जाए। यदि कोई शौचालय जर्जर है तो उसकी मरम्मत/पुनर्निर्माण/जीर्णोद्धार का कार्य आवश्यकतानुसार कराया जाए। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतीराज विभाग से समन्वय स्थापित करना होगा। ताकि समय से शौचालयों को क्रियाशील कराने के साथ उनकी नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है।
15 दिन में पूरी होगी व्यवस्था
शौचालयों में र¨नग वाटर (नलयुक्त बहता पानी) का प्रबंध होना चाहिए। ताकि शौच के बाद पानी के लिए नौनिहालों को परेशानी न उठानी पड़े। इसके लिए 15 दिन का समय देते हुए कहा गया है कि समय से व्यवस्थाओं को पूरा करा लिया जाए। निदेशक के निर्देश के बाद शिक्षा अधिकारी विद्यालयों में हैंडपंप व शौचालय की खराब स्थिति का आकलन शुरू कर दिए हैं।