इलाहाबाद : पहले दिन आठ केन्द्रों पर जंची महज आठ हजार कॉपियां
इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाता । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों का मूल्यांकन गुरुवार से शुरू हो गया। पहले दिन जिले के आठ मूल्यांकन केन्द्रों पर 8213 कॉपियां ही जांची जा सकी। भारत स्काउट एंड गाइड और सीएवी इंटर कॉलेज को छोड़कर बाकी के छह केन्द्रों पर शिक्षकों ने कॉपी जांचने की औपचारिकता निभाई।
उप प्रधान परीक्षकों ने सबसे पहले 20 उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नमूने के रूप में करके दूसरे परीक्षकों को दिखाया। उसके बाद कॉपियां जांचने का काम शुरू हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में बने कंट्रोल रूम से मिली सूचना के मुताबिक पहले दिन 8213 कॉपियां जांची गई जिनमें हाईस्कूल की 5388 और इंटरमीडिएट की 2825 उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन हुआ।
भारत स्काउट एंड गाइड इंटर कॉलेज में 3700, सीएवी में 1475, केपी में 400, एंग्लो बंगाली में 250, केसर विद्यापीठ में 500, अग्रसेन में 450, जीआईसी में 700 और जीजीआईसी में 738 कॉपियां जांची गईं।
ड्यूटी की गड़बड़ी दूर करने की मांग
इलाहाबाद। शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने सचिव यूपी बोर्ड शैल यादव से मुलाकात कर शिक्षकों की ड्यूटी लगाने में की गई गड़बड़ियों को दूर करने की मांग की। श्री त्रिपाठी ने बताया कि स्कूल और जिला विद्यालय निरीक्षक स्तर पर गड़बड़ियां दूर करने के निर्देश हैं।
एक-दो दिन में गति पकड़ेगा मूल्यांकन
इलाहाबाद। कॉपियों के मूल्यांकन का काम एक-दो दिन में गति पकड़ेगा। पहले दिन तकरीबन 50 प्रतिशत परीक्षकों ने रिपोर्ट किया और सैम्पल मूल्यांकन देखने के बाद चलते बने। राजकीय इंटर कॉलेज में 85 में से 45 उप प्रधान परीक्षक और 781 में से 432 परीक्षकों ने रिपोर्ट किया। एक-दो दिन में परीक्षकों की संख्या बढ़ने के साथ ही काम तेज होगा।
सैम्पल कॉपियों की शुरू नहीं हुई जांच
इलाहाबाद। यूपी बोर्ड की पहल पर राजकीय इंटर कॉलेज में पूरे प्रदेश से मंगाई गई सैम्पल कॉपियों की जांच शुरू नहीं हो सकी। अभी पूरी कॉपियां ही नहीं पहुंच सकी हैं। इन उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने के लिए परीक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पहली बार कुछ जिलों की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियां मंगवाकर अपने विशेषज्ञों से जंचवाने का निर्णय लिया है। इसका मकसद मेरिट में किसी जिले या वित्तविहीन स्कूल के परीक्षार्थियों के मेरिट में स्थान बनाने के आरोपों की हकीकत जांचना है। साथ ही किसी विषय में मिलने वाले औसत अंक का पता भी चल सकेगा ताकि भेदभाव या ओवरमार्किंग (अधिक नंबर देने) की कोई गुंजाइश न रहे।