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इलाहाबाद : नौ बरस अनदेखी, तब जागी सरकार, 2001 से लेकर 2009 तक गिने-चुने स्कूलों में जैसे-तैसे हुई पढ़ाई

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इलाहाबाद : नौ बरस अनदेखी, तब जागी सरकार, 2001 से लेकर 2009 तक गिने-चुने स्कूलों में जैसे-तैसे हुई पढ़ाई

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : ने कंप्यूटर जैसे विषय का पाठ्यक्रम तैयार कराकर 2001 में लागू कराया लेकिन, संसाधन और शिक्षक का तब तक कोई इंतजाम नहीं हो सका। शिवचरनदास कन्हैयालाल इंटर कालेज इलाहाबाद, केसर विद्यापीठ इलाहाबाद, जुहारीदेवी गल्र्स इंटर कालेज कानपुर, किसान इंटर कालेज तिर्वा कन्नौज और चित्रकूट इंटर कालेज जैसे गिने-चुने अशासकीय विद्यालयों ने इस पाठ्यक्रम को शुरू कराने में दिलचस्पी दिखाई। यहां कंप्यूटर का इंतजाम और तय अर्हता के अनुसार मानदेय पर शिक्षक भी नियुक्त हुए। सरकार इस पाठ्यक्रम को लेकर उदासीन बनी रही।

कंप्यूटर पाठ्यक्रम की आठ बरस तक किसी ने सुध नहीं ली। कुछ स्कूलों में इसे बाकायदे पढ़ाया जा रहा था और उनके लिए प्रश्नपत्र तैयार कराकर परीक्षा अनवरत करा रहा था। आखिरकार 2010 में केंद्र व प्रदेश सरकार के साझा प्रयास से माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा के लिए आइसीटी (केंद्र पुरोधित योजना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लागू हुई। इसके तहत पहले वर्ष यानी 2010 में 2300 माध्यमिक विद्यालयों का चयन हुआ और दूसरे साल यानी 2011 में 1700 स्कूल कुल चार हजार विद्यालय चयनित हुए। चयनित राजकीय और अशासकीय विद्यालयों में कंप्यूटर उपकरण, शिक्षण सामग्री और लैब आदि का निर्माण हुआ और हर विद्यालय में एक कंप्यूटर अनुदेशक की नियुक्ति हुई। उसे छात्र-छात्रओं के साथ ही शिक्षकों को भी पांच वर्ष तक कंप्यूटर की शिक्षा देने के साथ ही शिक्षकों को कंप्यूटर पढ़ाने के लिए दक्ष करना था। योजना के तहत एक्स्ट्रा मार्क्‍स और एडूकॉम जैसी कंपनियों यह शिक्षा देने की जिम्मेदारी मिली। ठेके पर चल रही कंप्यूटर शिक्षा पांच साल तक जैसे-तैसे चलती रही। शिक्षकों ने इसमें खास रुचि नहीं दिखाई और छात्र-छात्रओं ने इस विषय को अंक बटोरने तक सीमित रखा। योजना पूरी होने के बाद से तमाम विद्यालयों में पठन-पाठन का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि कंप्यूटर अनुदेशकों को आखिर मानदेय का भुगतान कौन करें? शिक्षकों ने पांच साल में इस तरह की शिक्षा ही नहीं ली कि वह बच्चों को कंप्यूटर पढ़ा सकें। योजना बंद होने के बाद फिर वही अशासकीय स्कूल कंप्यूटर शिक्षा में सबसे आगे हैं, जिन्होंने इसकी शुरुआत की थी। वहां छात्र संख्या भी बेहतर है, लेकिन मामूली मानदेय पर वर्षो से तैनात शिक्षकों की किसी ने सुध नहीं ली है।

अब राजकीय स्कूलों में पद सृजन : प्रदेश में कंप्यूटर शिक्षा शुरू होने के 16 बरस बाद अब राजकीय इंटरमीडिएट कालेजों में कंप्यूटर शिक्षक का पद सृजन किया गया है। प्रदेश सरकार ने 21 दिसंबर 2016 को राजकीय कालेजों के लिए एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में 1548 पद कंप्यूटर शिक्षकों के लिए पहली बार घोषित किए हैं। हालत यह है कि प्रदेश के तमाम राजकीय कालेजों में संसाधन हैं, लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है।’

2001 से लेकर 2009 तक गिने-चुने स्कूलों में जैसे-तैसे हुई पढ़ाई

केंद्र व प्रदेश सरकार ने 2010 व 2011 में आइसीटी योजना लागू की अशासकीय विद्यालय अधर में

प्रदेश सरकार ने कंप्यूटर शिक्षक रखने की पहल राजकीय कालेजों में की है, लेकिन अशासकीय विद्यालय अब भी हाशिए पर हैं। जिन स्कूलों में सालों से मानदेय शिक्षक पढ़ा रहे हैं, उन्हें नियमित करने पर भी किसी का ध्यान नहीं है।

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