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सहारनपुर : सौ करोड़ में भी नहीं ‘चमक’ रहा है भविष्य? हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को दो माह में परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिय

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सहारनपुर : सौ करोड़ में भी नहीं ‘चमक’ रहा है भविष्य? हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को दो माह में परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिय

*जागरण संवाददाता, सहारनपुर* : करोड़ों खर्च के बावजूद डगमगाती प्राथमिक शिक्षा की गाड़ी कब-कहां रुक जाये, कहा नहीं जा सकता। कहीं फर्नीचर का टोटा है तो कहीं साफ-सफाई का अभाव। सुनकर हैरत हो सकती है कि 30 प्रतिशत हैंडपंप का पानी पीने लायक नहीं है। 20 प्रतिशत शौचालय बदहाल हैं और 80 प्रतिशत स्कूलों में फर्नीचर के अभाव में बच्चे टाट-पट्टी पर बैठने को मजबूर हैं। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि बेसिक शिक्षा पर जिले में करीब 100 करोड़ रुपये मासिक भारीभरकम खर्च होता है। इन हालात में यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल होगा, यह तो कोई नहीं जानता लेकिन सरकारी व्यवस्था को लेकर हाकिमों की बेफिक्री सिस्टम पर सवाल जरूर खड़े करती है।

हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को दो माह में परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिये हैं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय स्कूलों पर वेतन सहित अन्य मदों में 100 करोड़ रुपये मासिक से अधिक धनराशि व्यय हो रही है। प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब 1.60 लाख बच्चे हैं। 1ज्यादा खराब हालत किराये के भवनों में संचालित स्कूलों की है। ज्यादातर में शौचालय व हैंडपंप का अभाव है। सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत डेढ़ दशक के दरम्यान बने स्कूल भवनों की भी हालत अच्छी नहीं है।1 गांव पिंजौरा के प्राथमिक स्कूल भवन का निर्माण वर्ष 2005 में हुआ था। दो कमरों में दरारें आने से ये असुरक्षित हो चुके हैं। बच्चों की सुरक्षा के मद्दनेजर इन्हें बंद किया हुआ है। बरामदे के फर्श में गड्ढों में गिरकर बच्चे चोटिल हो जाते हैं। शौचालय क्रियाशील नही है तो हैंडपंप बदबूदार पानी उगलते हैं। बारिश के मौसम में परिसर में जलनिकासी न होने से हालत खराब रहती है। 1टाट-पट्टी पर बैठते बच्चे 1 छात्र-छात्रओं को सुनहरे भविष्य के सपने दिखाए जा रहे हैं लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर हा। मवीकलां प्राथमिक स्कूल के शौचालय बदहाल हैं। गांधी पार्क स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय का परिसर सफाई के अभाव में अस्त-व्यस्त दिखता है। यहां नए बच्चों का नामांकन विभाग के लिए चुनौती बना है। पिंजौरा की प्रधानाध्यापिका पूजा आदियान बताती हैं कि जर्जर कमरों के बारे में विभाग को पत्र भेजा जा चुका है।1जनपद में स्कूलों की स्थिति1प्राथमिक स्कूल >> : 13761उच्च प्राथमिक स्कूल >> : 5761फर्नीचर नही है- >>:1576 स्कूल1विद्युतीकरण >> : 90 प्रतिशत1चारदीवारी नही है >>: 4 प्रतिशत 1शौचालय >> : 20 प्रतिशत क्रियाशील नही1हैंडपंप : सभी स्कूलों में। 30 प्रतिशत का पेयजल खराब।1भवन: सभी विद्यालय पूर्णतया संतृप्त1किराए के भवन : 32 इनमें संचालित स्कूल करीब 43।गांधी पार्क स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की जजर्र छत ’ जागरणपिंजोरा गांव का जजर्र प्राथमिक विद्यालय ’पिंजाैरा के प्राथमिक विद्यालय में फर्नीचर के अभाव में टाट पट्टी पर बैठे बच्चे ’मवीकलां के प्राथमिक विद्यालय में हैंडपंप नहीं ’मवीकलां के प्राथमिक विद्यालय का बदहाल शौचालय ’ जागरण’ बेसिक शिक्षा पर प्रतिमाह खर्च होते हैं 100 करोड़ 1’ कहीं शौचालय ठप तो कहीं हैंडपंपों में दूषित पानीप्रत्येक स्कूल में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त होना चाहिए ताकि नियमित सफाई हो सके। गांवों के स्कूलों में सफाई कर्मचारी काम करने से कन्नी काटते हैं। 1संदीप सिंह पंवार, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ।स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था होने से बच्चों का स्कूल के प्रति आकर्षण बढ़ाया जा सकता है। खराब हैंडपंपों को ठीक कराने की पहल प्राथमिकता से होनी चाहिए।1सेठपाल सिंह, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ।विभाग के निर्देश पर ऐसे स्कूलों की सूची ब्लाक कार्यालयों से मांगी है, जिनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सूची मिलने पर प्रस्ताव बनाकर भेजा जायेगा।1बुद्धप्रिय सिंह, बीएसए।1

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