इलाहाबाद : यूपी टीईटी साल में दो बार होने के आसार, एनसीटीई पहले ही दे चुकी है निर्देश, एससीईआरटी भी सहमत
🔴 लगातार गिर रहे परीक्षा परिणाम से अभ्यर्थी भी बार-बार चाहते हैं मौका,
🔵 ताकि परीक्षा उत्तीर्ण कर शिक्षक बनने की कर सकें दावेदारी
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश में भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) वर्ष में दो बार कराने के आसार बढ़ गए हैं। इस संबंध में एनसीटीई यानी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद पहले ही निर्देश दे चुका है लेकिन प्रदेश में वर्षो से उसका अनुपालन नहीं हो रहा है। इधर लगातार गिर रहे परीक्षा परिणाम से अभ्यर्थी भी बार-बार परीक्षा का आयोजन चाहते हैं, ताकि वह शिक्षक बनने की अर्हता परीक्षा उत्तीर्ण करके दावेदारी कर सकें। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) भी दो बार परीक्षा कराने के सुझाव पर सहमति जता चुका है। इसके बाद भी दो बार परीक्षा का मुहूर्त तय नहीं हो पाया है।
उत्तर प्रदेश का शिक्षा महकमा निर्देशों के बाद भी टीईटी का आयोजन वर्ष में दो बार नहीं कर पा रहा है। हालांकि एनसीटीई की गाइड लाइन में यह परीक्षा साल में दो बार कराने के स्पष्ट निर्देश हैं। उसमें यह भी कहा गया है कि वर्ष में कम से कम एक बार यह परीक्षा जरूर कराई जाए। कुछ माह पहले एनसीटीई ने देश के सभी राज्यों से टीईटी परीक्षा के साथ ही अन्य शैक्षिक सुधार के संबंध में तमाम सुझाव मांगे थे। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद एससीईआरटी में बैठक हुई।
इसमें यूपी ने वर्ष में दो बार टीईटी परीक्षा कराने पर सहमति जताई गई है। अफसरों का कहना है कि अभी प्रदेश में दो बार परीक्षा कराने का खाका नहीं खींचा जा सका है। उधर, अधिकांश युवा भी वर्ष में दो बार टीईटी का आयोजन चाहते हैं। इसकी वजह यह है कि पिछले वर्षो में यूपी टीईटी का परिणाम लगातार गिरता जा रहा है, बड़ी संख्या में युवा उसे उत्तीर्ण नहीं कर पाये हैं। उनका कहना है कि दो बार परीक्षा होने पर नियमित से उसे उत्तीर्ण करना आसान होगा। वहीं, परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि हम लोग वर्ष में दो बार परीक्षा कराने को लेकर सहमत हैं और सुझाव भी दे चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में सीटीईटी को भी मान्य किया गया है इसलिए दो बार टीईटी कराना बहुत जरूरी भी नहीं है। आगे एनसीटीई जो आदेश देगा उसका पालन करेंगे।