इलाहाबाद : इंटर में कंप्यूटर पढ़ना आसान नहीं, हाईस्कूल में छठे विषय के रूप में अभ्यर्थी कर रहे पढ़ाई
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड ने कुछ माह पहले आइटीआइ करने वालों को हाईस्कूल व इंटर की समकक्षता देकर बड़ी सौगात दी है। बोर्ड के विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कोर्स भी चल रहे हैं, लेकिन कंप्यूटर शिक्षा को उस तरह से नहीं अपनाया जा सका है, जैसी उसकी समाज में स्वीकार्यता है। कंप्यूटर शिक्षा मौजूदा दौर में उपयोगी ही नहीं जरूरत बन गई है, फिर भी यह यूपी बोर्ड में ऐच्छिक विषय तक सीमित है। छात्र-छात्रएं चाहकर भी इंटर में कंप्यूटर नहीं पढ़ पा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के स्कूलों में वैसे तो कंप्यूटर शिक्षा 25 जून 2001 से लागू है, लेकिन सभी स्कूलों व छात्र-छात्रओं तक यह कोर्स नहीं पहुंच सका है। इसकी वजह ऐच्छिक विषय के रूप में होना है। कक्षा नौ व 10 में छात्र-छात्रएं हंिदूी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विषय लेने के बाद कंप्यूटर, संस्कृत, वाणिज्य और कला में से एक विषय को चुनते हैं। जिन स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई हो रही है वहां अभ्यर्थी इसे लेने में रुचि दिखा भी रहे हैं। शायद इसीलिए हाईस्कूल स्तर तक कंप्यूटर शिक्षा पढ़ने वालों की तादाद अब एक लाख से ऊपर हो गई है। हाईस्कूल में 30 अंक का आंतरिक मूल्यांकन होता है और 70 अंक के प्रश्न बोर्ड परीक्षा में पूछे जाते हैं। इंटर में हालात ठीक उलट हैं। जिन स्कूलों में यह विषय उपलब्ध भी हैं वहां के छात्र चाहकर भी इसकी पढ़ाई नहीं कर पाते।
असल में इंटर के विज्ञान वर्ग के छात्र हंिदूी, रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित लेने के बाद उनकी जरूरत अंग्रेजी होती है। ऐसे में वह कंप्यूटर नहीं पढ़ पाते। ऐसे ही जीव विज्ञान के छात्र भी कंप्यूटर से दूर रहते हैं। हालांकि इंटर कला और वाणिज्य वर्ग के छात्र-छात्रओं को कंप्यूटर की पढ़ाई करने का अधिक मौका मिल रहा है। 1इंटर में कंप्यूटर शिक्षा लेने वालों को ‘ओ’ लेवल की समकक्षता दी जाती है। इसमें 30-30 के दो प्रश्नपत्रों पर परीक्षा होती है और 40 अंक का प्रैक्टिकल होता है। छात्र कहते हैं कि सीबीएसई की तर्ज पर हाईस्कूल व इंटर का पाठ्यक्रम ऐसा बनाया जाए कि उसमें मुख्य विषय को छेड़े बिना कंप्यूटर की पढ़ाई आसानी से की जा सके। इससे पढ़ाई के साथ ही तकनीक की जानकारी भी मिल जाएगी। उधर यूपी बोर्ड के अफसरों का कहना है कि वह इस पाठ्यक्रम को सुलभ बनाने पर विचार कर रहे हैं।’
हाईस्कूल में छठे विषय के रूप में अभ्यर्थी कर रहे पढ़ाई
इंटर विज्ञान वर्ग के छात्र-छात्रएं चाहकर भी नहीं पढ़ पाते