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इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं में नकल पर प्रभावी अंकुश लगाने का खाका दो साल पहले ही खींचा गया

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इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं में नकल पर प्रभावी अंकुश लगाने का खाका दो साल पहले ही खींचा गया

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं में नकल पर प्रभावी अंकुश लगाने का खाका दो साल पहले ही खींचा गया था। यह अलग बात है कि नकल रोकने की मुहिम चलाने वाले अफसर पर नकल माफिया ही भारी पड़ गए। दो साल पहले माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जैसे अफसर को किनारे कर दिया गया और उनके निर्देश अब तक ठंडे बस्ते में रहे हैं। अब उनमें से अधिकांश नियमों को अगले साल से लागू करने की तैयारी की जा रही है। अब भी ऐसे कई नियम हैं जिनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर के परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी लगाने का आदेश नया नहीं है। वर्ष 2014 में माध्यमिक शिक्षा के तत्कालीन प्रमुख सचिव सूर्य प्रताप सिंह ने अफसरों की बैठक में हर परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का आदेश दिया था। निर्देश यह भी था कि परीक्षा केंद्र प्रभारी यह कैमरा लगाने के लिए स्वयं खर्च करेगा। यह भी निर्देश दिया गया था कि परीक्षा केंद्र के हर कमरे के साथ ही केंद्र की छत पर दो कैमरे (आगे और पीछे की ओर करके) लगाए जाएंगे, ताकि यदि कोई बाहरी तत्व नकल में सहयोग करता है तो वह भी चिह्न्ति हो सके। सभी जिलों को यह निर्देश हुआ था कि हर हाल में 30 नवंबर तक परीक्षा केंद्रों का निर्धारण पूरा किया जाए। इस निर्देश के बाद हलचल मच गई थी और नकल माफिया की लाबी ने एकजुट होकर आदेश करने वाले अफसर को ही चलता कर दिया। 2015 में कुछ प्रधानाचार्य यह दलील देते रहे कि आखिर सीसीटीवी कैमरे के लिए वह धन का प्रबंध कहां से करेंगे। उन्हीं प्रधानाचार्यो ने 2017 की परीक्षा के लिए कंप्यूटर, आपरेटर, जेनरेटर व इंटरनेट आदि का प्रबंध आसानी से कर लिया, क्योंकि परीक्षा नीति में इसे शामिल किया गया था। स्पष्ट है कि अफसरों ने ही नकल रोकने की योजना को मूर्तरूप लेने नहीं दिया। अब उसी सीसीटीवी कैमरा को अगले साल की परीक्षा में अनिवार्य करने की तैयारी है। उसी समय यह भी तय हुआ कि संवेदन व अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों पर डीएम की ओर से स्टेटिक मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जाए। इस पर दो साल से अमल हो रहा है।

इन नियमों को आदेश का इंतजार

’ केंद्रों पर परीक्षार्थी जमीन में न बैठे, जरूरत पर पड़ोसी स्कूल से फर्नीचर उधार लिया जाए। ’ 10वीं, 12वीं में 10 फीसद से कम और 80 फीसद से अधिक अंक पाने वालों की उत्तरपुस्तिका का परीक्षण हो। ’ आंतरिक मूल्यांकन व प्रायोगिक परीक्षा के अंकों को लुटाने पर तीसरे परीक्षक से उसका परीक्षण कराएं। ’ यूपी बोर्ड मुख्यालय पर परीक्षकों का परिचय पत्र जारी हो। डीआइओएस 15 दिसंबर तक सूची मुख्यालय पर भेजें। ’ जिस विद्यालय में कक्षा 9, 10, 11 व 12 में 200 से अधिक छात्र-छात्रएं हों, उसकी कालेज की जांच हो।

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