लखनऊ : सचिवालय की नई तबादला नीति जारी, सचिवालय प्रशासन को तबादला नीति से मुक्त किए जाने पर उठ रहे सवाल
🔴 तीन साल से एक विभाग में तैनात संयुक्त सचिव, विशेष सचिव, अनुसचिव और उप सचिव हटेंगे
🌕 एक विभाग में पांच साल से जमे समीक्षा अधिकारी और अनुभाग अधिकारी स्थानांतरित होंगे
🔵 एक विभाग में सात साल पूरे करने वाले कंप्यूटर सहायक, सहायक समीक्षा अधिकारी भी हटाए जाएंगे
🌑 सचिवालय प्रशासन को तबादला नीति से मुक्त किए जाने पर उठ रहे सवाल
विशेष संवाददाता/राज्य मुख्यालय : प्रदेश सरकार ने सचिवालय सेवा के अफसरों के लिए नई तबादला नीति जारी कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी के बाद यह संशोधित नीति सोमवार को जारी की गई है। यह नीति वर्ष 2015 में बनाई गई नीति में संशोधन करके बनाई गई है। इसमें सचिवालय सेवा के सभी कैडर के अफसरों की तैनाती की अधिकतम अवधि को कम कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव एनएस रवि द्वारा इस तबादला नीति का आदेश जारी किया गया है। इसमें सचिवालय सेवा के अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले के संबंध में नीति-निर्धारण करने के लिए 10 फरवरी 2015 को जारी शासनादेश में संशोधन किया गया है। नई संशोधित तबादला नीति के अनुसार समूह ‘कश्रेणी में आने वाले अनुसचिव व उप सचिव स्तर के अधिकारी पहले पांच साल एक विभाग में रह सकते थे। अब उनकी एक विभाग में तैनाती अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। संयुक्त सचिव व विशेष सचिव के स्थानांतरण के लिए तीन वर्ष की समयावधि को यथावत बनाए रखा गया है। समूह ‘ख स्तर के समीक्षा अधिकारी, अनुभाग अधिकारी व समकक्ष अधिकारियों के तबादले अब सात साल की बजाए पांच साल में होंगे। इसी तरह समूह ‘ग श्रेणी के कम्प्यूटर सहायक, सहायक समीक्षा अधिकारी व समकक्ष कर्मचारियों के तबादले अब दस साल के बजाए सात साल में होंगे। नई नीति की खास बात यह है कि बाकी प्राविधान पुराने ही रखे गए हैं। जैसे सचिवालय प्रशासन, न्याय, विधायी व संसदीय कार्य विभाग (इन विभागों के अधिष्ठान अनुभागों को छोड़कर) तबादला नीति से मुक्त रखा गया है। गोपन विभाग के अनुभाग एक, पांच, छह व सात अनुभाग और वित्त विभाग के बजट एवं लेखा अनुभाग को तबादला नीति से मुक्त रखा गया है। सचिवालय प्रशासन विभाग को तबादला नीति से मुक्त रखे जाने पर सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि यहां कई ऐसे लोग हैं जो बाबू के पद पर आए थे और अब प्रोन्नत होकर विशेष सचिव तक पहुंच गए हैं। अनु सचिव और अनुभाग अधिकारी के पद पर प्रथम तैनाती के विभाग को जरूर बदला जाएगा। एक विभाग में संपूर्ण पदों पर तैनाती की अवधि गिनी जाएगी।